- 10 मई, 1857 ई० को 1857 के विद्रोह की शुरुआत मेरठ से हुई।
- 1857 ई० के विद्रोह का तात्कालिक कारण चर्बी लगे कारतूसों का प्रयोग था।
- चर्बीयुक्त कारतूसों के प्रयोग के विरोध में प्रथम विद्रोह बैरकपुर छावनी में मंगल पाण्डे द्वारा किया गया।
- 1857 ई० के विद्रोह के समय भारत के गवर्नर-जनरल लार्ड कैनिंग थे। भारत के प्रथम वायसराय लार्ड कैनिंग थे।
- विद्रोह मुख्यतः दिल्ली, कानपुर, लखनऊ, फैजाबाद, बरेली, जगदीशपुर (बिहार), झांसी, रूहेलखण्ड, मेरठ, में केन्द्रित रहा।
- विद्रोह के प्रमुख नेता थे- तांत्याटोपे, नाना साहब, बेगम हजरत महल, रानी लक्ष्मी बाई, मौलवी अहमदशाह, कुंवर सिंह आदि।
- 1857 ई० के विद्रोह के समय के विद्रोही नेता मौलवी अहमदुल्ला की गिरफ्तारी के लिए अंग्रेजी सरकार ने 50,000 रु० का इनाम रखा था।
- अंग्रेज जनरल ह्यूरोज ने लक्ष्मीबाई की मृत्यु के बाद उन्हें 'विद्रोहियों में सर्वोत्तम' और 'सबसे वीर नेता' कहा।
- 1857 ई० के विद्रोह के बारे में आर०सी० मजूमदार ने कहा कि 'तथाकथित प्रथम राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम न तो प्रथम था, न ही राष्ट्रीय और न ही स्वतंत्रता संग्राम।'
- ब्रिटिश सांसद डिजरायली ने 1857 ई० के विद्रोह को 'राष्ट्रीय विद्रोह' कहा।
- वी० डी० सावरकर ने 1857 ई० के विद्रोह को 'सुनियोजित स्वतंत्रता संग्राम' की संज्ञा दी।
- 1857 ई० के विद्रोह में पंजाब, राजपूताना, पटियाला, जींद, हैदराबाद और मद्रास शासकों ने बिल्कुल हिस्सा नहीं लिया।
- बौद्धिक वर्ग, व्यापारी, भारतीय शासक न केवल विद्रोह से अलग रहे बल्कि विद्रोह को कुचलने में सरकार की मदद की।
- तांत्याटोपे (रामचन्द्र पांडुरंग) को मारवाड़ के देशद्रोही राजा मानसिंह की मुखबरी पर अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर फांसी दे दी।
- 1858 ई० के भारतीय परिषद अधिनियम द्वारा भारत में कंपनी का शासन समाप्त कर दिया गया। भारत का गवर्नर जनरल वायसराय कहा जाने लगा।
1857 ई० के विद्रोह से सम्बंधित महत्वपूर्ण पुस्तक
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