- ताना भगत आंदोलन को भगत आंदोलन इसलिए कहा गया क्योंकि इसका नेतृत्व आदिवासियों के बीच के उन लोगों ने किया जो 'फकीर या धर्माचार्य' थे।
- ताना भगत आंदोलन की शुरुआत द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद छोटा नागपुर (बिहार) में हुई थी।
- यह आंदोलन एक प्रकार से संस्कृतीकरण आंदोलन था।
- इन आदिवासी आंदोलनकारियों के बीच गांधीवादी कार्यकर्ताओं ने अपने रचनात्मक कार्यों के साथ घुसपैठ की।
- 1920 के दशक में ताना भगतों ने कांग्रेस के नेतृत्व में शराब की दुकानों पर धरना देकर सत्याग्रह और प्रदर्शनों में हिस्सा लेकर भारत के राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय भागीदारी की।
- इस आंदोलन को जतराभगत, बलराम भगत, देवमेनिया भगत (महिला) ने अपना नेतृत्व प्रदान किया।
- जतरा भगत ने लगान की दरों में ऊंची वृद्धि और चौकीदारी कर के विरुद्ध भी आंदोलन किया।
चेंचू आंदोलन (1920 ई०)
- चेंचू आंदोलन 1920 ई० में आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में असहयोग आंदोलन के समय शक्तिशाली जंगल सत्याग्रह के रूप में शुरू हुआ।
- चेंचू आदिवासी आंदोलनकारियों ने वेंकट्टपय्या जैसे नेताओं से सम्पर्क स्थापित किया।
- दिसम्बर, 1927 में गांधी जी ने भी इस क्षेत्र का दौरा किया।
- 1921-22 में मोतीलाल तेजावत के नेतृत्व में भील विद्रोह ने उग्र रूप धारण कर लिया, कांग्रेस ने इस विद्रोह से अपने रिश्ते की बात को नकार दिया।
- फरवरी 1922 में बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले में संथालों ने गांधी टोपी पहन कर पुलिस पर हमला बोल दिया।
रम्पा विद्रोह (1922-24 ई०)
- 1922-24 के बीच रम्पा विद्रोह आंध्र प्रदेश के गोदावरी जिले के उत्तर में स्थित 'रम्पा' क्षेत्र में हुआ था।
- आदिवासियों का यह विद्रोह साहूकारों के शोषण और वन कानूनों के विरुद्ध हुआ।
- रम्पा विद्रोह के नेता अल्लूरी सीताराम राजू थे जो गैर आदिवासी नेता थे, इन्होंने जयोतिषीय और शारीरिक उपचार सम्बन्धी विशेष शक्तियों से युक्त होने का दावा किया।
- सीताराम राजू को गांधी के असहयोग आंदोलन से प्रेरणा प्राप्त हुई, लेकिन ये आदिवासी कल्याण हेतु हिंसा को आवश्यक समझते थे।
- 1924 में सीताराम राजू की हत्या कर विद्रोह को कुचल दिया गया।
- सविनय अवज्ञा आंदोलन के समय कई स्थानों पर आदिवासियों द्वारा 'वन सत्याग्रह' किया गया क्योंकि इस समय तक राष्ट्रवादियों और आदिवासी समूह के लोगों में घनिष्ठ सम्बन्ध कायम हो चुके थे।
वन या जंगल सत्याग्रह
- वन या जंगल सत्याग्रह मुख्यतः महाराष्ट्र, मध्यप्रांत, कर्नाटक के गरीब आदिवासी किसानों द्वारा चलाया गया था।
- वन सत्याग्रह के दौरान गंजन कोई जैसे नेताओं ने लगान न अदा करने के लिए अभियान चलाया।
सीमांत आदिवासियों के विद्रोह, खासी विद्रोह, अहोम विद्रोह, नागा विद्रोह
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