- मुण्डा विद्रोह 1893-1900 ई० के बीच बिरसा मुण्डा के नेतृत्व में हुआ था।
- यह विद्रोह इस अवधि का सर्वाधिक चर्चित आदिवासी विद्रोह था।
- मुण्डों की पारम्परिक भूमि व्यवस्था 'खूंटकट्टी या मुंडारी' का जमींदारी या व्यक्तिगत भूस्वामित्व वाली भूमि व्यवस्था में परिवर्तन के विरुद्ध मुण्डा विद्रोह की शुरुआत हुई।
- कालांतर में बिरसा मुंडा ने इसे धार्मिक-राजनीतिक आंदोलन का रूप प्रदान कर दिया।
- 1895 में बिरसा ने अपने को 'भगवान का दूत' घोषित किया और हजारों मुण्डाओं का नेता बन गया।
- बिरसा मुण्डा को 'उलगुलान' (महान हलचल) और इनके विद्रोह को 'उल्गुलन' (महा विद्रोह) के नाम से जाना गया।
- बिरसा मुण्डा ने कहा कि “दिकुओं (गैर आदिवासी) से हमारी लड़ाई होगी और उनके खून से जमीन इस तरह लाल होगी जैसे लाल झंडा।"
- 1900 ई० के प्रारम्भ में बिरसा को गिरफ्तार कर लिया गया जहाँ जेल में ही उसकी मृत्यु हो गई।
- कुंवर सुरेश सिंह द्वारा तीन चरणों में विभाजित आदिवासी आंदोलन का तृतीय चरण 1920 ई० के बाद शुरु हुआ।
- इस चरण के आंदोलनों के नेतृत्वकर्ता को शिक्षित होने का सौभाग्य मिला था।
- इस समय के आंदोलन को जातीय अथवा सांस्कृतिक आंदोलन, सुधार अथवा संस्कृतिकरण आंदोलन, कृषक और वन आधारित आंदोलन तथा राजनीतिक आंदोलन में बांटा जा सकता है।
- इस समय हुए आदिवासी आंदोलन के नेता गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ताओं से लेकर अल्लूरी सीताराम राजू जैसे गैर आदिवासी बने।
किद्दूर चेन्नम्मा विद्रोह 1824-29
- किद्दूर चेन्नम्मा विद्रोह 1824-29 के दौरान हुआ था।
- किट्टूर (कर्नाटक) के स्थानीय शासक की मृत्यु के बाद अंग्रेजों ने उसके उत्तराधिकारी को मान्यता नहीं दिया, फलस्वरूप दिवंगत राजा की विधवा चेन्नम्मा ने रामप्पा की सहायता से विद्रोह कर दिया।
- 1835 में गंजाम के गुमसुर क्षेत्र के जमींदार धनंजय भांजा ने ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध विद्रोह कर दिया।
- धार राव के बुन्द का विद्रोह - 1840-41 में सतारा के राजा प्रताप सिंह को अंग्रेजों द्वारा अपदस्थ करने के विरुद्ध हुआ कराड़ के धार राव ने सबसे पहले विद्रोह का नेतृत्व किया।
- बुंदेला विद्रोह - इसके अन्तर्गत 1846-47 में कुरनूल के बेदखल किये गये पॉलीगर नरसिम्हा रेड्डी को सरकार द्वारा जब्त की गई पेंशन देने से मना करने पर उन्होंने विद्रोह कर दिया।
- पालीगर तमिलनाडु के वे जमींदार थे जो हथियार बंद दस्ते रखते थे।
- पाइक विद्रोह - 1904 ई० में उड़ीसा के खुर्दा नामक स्थान पर हुआ।
- इस विद्रोह को खुर्दा के राजा ने पाइकों के सहयोग से संगठित किया।
- 'पाइक' लगान मुक्त भूमि का उपयोग करने वाले सैनिक थे।
- पाइक नेता जगबंधु के नेतृत्व में पाइक विद्रोहियों ने अंग्रेजी सेना को पराजित कर पुरी पर अधिकार कर लिया था।
ताना भगत आंदोलन, चेंचू आंदोलन, रम्पा विद्रोह, वन या जंगल सत्याग्रह
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