★ इस अवसर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा प्रथम वर्ल्ड विज़न रिपोर्ट 2019 जारी की गई।
★ इस रिपोर्ट के अनुसार, विश्वभर में 1 बिलियन से अधिक लोग दृष्टि दोष के साथ जी रहे हैं।
★ यह लोग ग्लूकोमा, मोतियाबिंद और अंधापन जैसी स्थितियों के शिकार हैं क्योंकि उन्हें उचित देखभाल नहीं मिल पा रही है।
★ इस रिपोर्ट में यह बताया गया है कि बढ़ती आयु बदलती जीवनशैली और आंखों की देखभाल तक सीमित पहुंच, विशेष रूप से कम और मध्यम आय वाले देशों में, दृष्टि दोष के साथ जीने वाले लोगों की बढ़ती संख्या के मुख्य चालकों में शामिल हैं।
★ मोतियाबिंद और ट्रेकोमैटस ट्राइकियासिस की दर महिलाओं में अधिक पाई गई है. यह विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में अधिक पाई गई है।
★ रिपोर्ट के अनुसार आँखों की बढ़ते विकारों के लिए समान कारण उत्तरदायी नहीं हैं. यह अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में कम आय, महिलाओं, वृद्धों, विकलांग लोगों, जातीय अल्पसंख्यकों और स्वदेशी आबादी वाले लोगों में अधिक पाया गया है।
★ निम्न और मध्यम आय वाले क्षेत्रों में दूर दृष्टि दोष उच्च आय वाले क्षेत्रों की तुलना में चार गुना अधिक होने का अनुमान है।
★ पश्चिमी और पूर्वी उप-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया के निम्न और मध्यम-आय वाले क्षेत्रों में अंधेपन की दर सभी उच्च-आय वाले देशों की तुलना में आठ गुना अधिक है।
★ दृष्टिदोष और मोतियाबिंद के कारण दृष्टिहीनता या अंधेपन के साथ रहने वाले 1 बिलियन लोगों के रोगों से निपटने के लिए 14.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता होगी।
★ भारत में वर्ष 1976 में एक राष्ट्रीय कार्यक्रम आरंभ किया गया था जिसके तहत सभी राज्यों में पूर्ण रूप से केंद्र सरकार पोषित योजना के तहत रोकथाम के उपाय किये जाने तय किये गये।
★ स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही इस योजना का उद्देश्य वर्ष 2020 तक अंधेपन के मामलों की दर 0.3% तक लाना है।
★ इस योजना के तहत सभी के लिए आँखों की देखभाल के कार्यक्रम जारी किये गये हैं. बच्चे, बुजुर्ग और महिलाओं के लिए भिन्न-भिन्न विशेषज्ञ कार्यरत हैं।
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