मंगलवार, 28 जनवरी 2025

जन आंदोलन (1757–1858 के बीच), संन्यासी विद्रोह (1770-80), पागलपंथी, वहाबी आंदोलन (1820-70)

 

  • 1857 ई० की महान क्रांति से पूर्व भी ब्रिटिश शासन के विरुद्ध अनेक जन आंदोलन हुए।
  • इन सभी जन आंदोलनों को राजनीतिक-धार्मिक आंदोलन, अपदस्थ शासकों के आश्रितों का आंदोलन तथा अपदस्थ शासकों और जमींदारों के आंदोलन के रूप में विभाजित किया जा सकता है।
  • राजनीतिक-धार्मिक आंदोलन के अन्तर्गत फकीर विद्रोह, संन्यासी विद्रोह, पागलपंथी, वहाबी आंदोलन तथा कूका विद्रोह महत्वपूर्ण है।

फकीर विद्रोह (1776-77)
  • 1776-77 में फकीर विद्रोह बंगाल में शुरू हुआ था। 
  • यह घुमक्कड़ मुसलमान धार्मिक फकीरों का गुट था जिसके नेता मंजनूमशाह ने 1776-77 में अंग्रेजी शासन के विरुद्ध विद्रोह करते हुए जमींदारों और किसानों से धन की वसूली की। 
  • मंजनूशाह की मृत्यु बाद चिरागअली शाह ने आंदोलन को नेतृत्व प्रदान किया। 
  • भवानी पाठक और देवी चौधरानी जैसे हिन्दू नेताओं ने भी इस आंदोलन की सहायता की।

संन्यासी विद्रोह (1770-80)

  • 1770 ई० में बंगाल में पड़े भीषण अकाल ने इस प्रांत को अराजकता और कष्टों से ग्रस्त कर दिया था, दूसरी ओर तीर्थ स्थलों की यात्रा पर लगे प्रतिबंध ने संन्यासियों को इतना क्षुब्ध कर दिया कि वे विद्रोह पर उतर आये।
  • इन संन्यासियों में अधिकांश शंकराचार्य के अनुयायी थे जो हिन्दू नागा और गिरि सशस्त्र संन्यासी थे। 
  • इन संन्यासियों ने जनता के साथ मिलकर अंग्रेज कोठियों पर धावा बोला और खजाने को लूटा।
  • वारेन हेस्टिंग्स ने लम्बे सैन्य अभियान के बाद इस विद्रोह को कुचलने में सफलता पायी।
  • बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास आनन्द मठ में संन्यासी विद्रोह का उल्लेख मिलता है।

पागलपंथी (1813)

  • पागलपंथी नामक धार्मिक सम्प्रदाय भारत के उ० पूर्वी भाग में सक्रिय था जो सत्य, समानता और भाईचारे के सिद्धातों के समर्थक थे। 
  • 1813 ई० में पागलपंथी सम्प्रदाय के नेता टीपू ने जमींदारों के विरुद्ध काश्तकारों के समर्थन में विद्रोह कर जमींदारों के गढ़ों पर आक्रमण कर दिया। 
  • विद्रोह के समय टीपू इतना शक्तिशाली हुआ कि उसने एक न्यायाधीश, मजिस्ट्रेट और जिलाधिकारी की नियुक्ति की। 
  • 1833 ई० में विद्रोह को कुचल दिया गया।

वहाबी आंदोलन (1820-70) 

  • वहाबी आंदोलन के संस्थापक अब्दुल वहाब थे। 
  • यह मूलतः मुस्लिम सुधारवादी आंदोलन था जो उत्तर पश्चिम, पूर्वी तथा मध्य भारत में सक्रिय था।
  • वहाबी आंदोलन के बारे में कहा जाता है कि यह 1857 ई० के विद्रोह की तुलना में कहीं अधिक नियोजित, संगठित और सुगठित था। 
  • वहाबी आंदोलन मुस्लिम समाज को भ्रष्ट धार्मिक तौर तरीकों से मुक्त करने के लक्ष्य पर कार्य करता था। 
  • भारत में इस आंदोलन को सैय्यद अहमद रायबरेलवी (1803-87) के कारण लोकप्रियता मिली। 
  • सैय्यद अहमद पंजाब में सिखों को और बंगाल में अंग्रेजों को अपदस्थ कर मुस्लिम शक्ति की पुनस्थापना करना चाहते थे। 
  • इन्होंने अपने अनुयायियों को शस्त्र धारण करने के लिए प्रशिक्षित कर खुद भी सैनिक वेशभूषा धारण की।
  • सैय्यद अहमद ने पेशावर पर 1830 ई० में कुछ समय के लिए अधिकार कर अपने नाम के सिक्के चलवाये, लेकिन शीघ्र ही 1831 ई०में इनकी मृत्यु हो गई। 
  • सैय्यद अहमद की मृत्यु के बाद पटना वहाबी आंदोलन का मुख्य केन्द्र बना। 
  • इस आंदोलन के अन्य महत्वपूर्ण नेताओं में विलायत अली, इनायत अली, मौलवी कासिम, अब्दुल्ला आदि शामिल थे।
  • वहाबी आंदोलन का चरित्र साम्प्रदायिक अवश्य था लेकिन इन्होंने हिन्दुओं का कभी विरोध नहीं किया इनका आंदोलन भारत को अंग्रेजी प्रशासन से मुक्त कराने और मुस्लिम राज्य की स्थापना के लक्ष्य से प्रेरित था।

कूका आंदोलन (1860-70), रामोसी विद्रोह, गडकारी विद्रोह, बेलुटंपी विद्रोह 

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