शुक्रवार, 17 जनवरी 2025

द्वितीय आंग्ल-सिक्ख युद्ध (1848-49)

 

  • द्वितीय आंग्ल-सिख युद्ध के समय भारत के गवर्नर जनरल लार्ड डलहौजी थे। 
  • द्वितीय आंग्ल-सिक्ख युद्ध का तात्कालिक कारण था - मुल्तान के सूबेदार मूलराज का विद्रोह। 
  • मूलराज, शेरसिंह और छत्तर सिंह ने पंजाब को ब्रिटिश प्रभाव से मुक्त कराने के लिए विद्रोह कर दिया।
  • 13 जनवरी, 1849 ई० को चिलियानवाला युद्ध लड़ा गया, जिसमें अंग्रेजी सेना का नेतृत्व लार्ड गफ ने किया, सिक्ख सेना शेर सिंह के नेतृत्व में युद्ध लड़ा, यह युद्ध अनिर्णीत समाप्त हुआ।
  • डलहौजी ने चिलियानवाला युद्ध के परिणाम के बारे में कहा कि "हमने भारी खर्च उठाकर एक ऐसी विजय प्राप्त की है, जो पराजय के बराबर है।" 
  • इस युद्ध के बाद डलहौजी ने गफ के स्थान पर चार्ल्स नेपियर को प्रधान सेनापति बनाया। 
  • 21 फरवरी, 1849 को नेपियर ने सिक्ख सेना को 'गुजरात युद्ध' में बुरी तरह पराजित कर दिया।
  • गुजरात के युद्ध को 'तोपों के युद्ध' के नाम से भी जाना जाता है। 
  • 30 मार्च, 1849 को डलहौजी ने चार्ल्स नेपियर के नेतृत्व में गुजरात युद्ध को जीतने के बाद हेनरी लारेंस, लार्ड एलनबरो की इच्छा के विरुद्ध  पंजाब को अंग्रेजी राज्य में मिला लिया।
  • महाराजा दिलीप सिंह को अंग्रेजों ने 5 लाख रुपये की वार्षिक पेंशन पर रानी झिंदन के साथ इंग्लैण्ड भेज दिया।

बंगाल 

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