- अलीवर्दी की मृत्यु के बाद उसका नाती सिराज 10 अप्रैल, 1756 को बंगाल का नवाब बना।
- सिराज के बारे में जीन लॉ ने कहा कि "वह न केवल विभिन्न प्रकार के व्यभिचारों के लिए अपितु अपनी क्रूरता के लिए भी कुख्यात था।" हर कोई सिराजुदौला के नाम से कांपता था।"
- सिराजउद्दौला के राजगद्दी के प्रतिद्वन्दी और विरोधियों में प्रमुख थे पूर्णिया के नवाब शौकतजंग (चचेरा भाई), सिराज की मौसी घसीटी बेगम तथा उसका सेनापति मीरजाफर (अलीवर्दी का दामाद) आदि।
- अपने विरोधियों के दमन के क्रम में सिराजुद्दौला ने मौसी घसीटी बेगम को बंदी बना लिया, तथा सेनापति मीरजाफर को हटाकर उसके स्थान पर मीरमदान को नियुक्त कर दिया।
- 1756 में सिराज ने पूर्णिया के शौकतजंग के दमन हेतु प्रस्थान किया। अक्टूबर 1756 ई० में ' मनिहारी के युद्ध' में सिराज ने शौकत को पराजित कर उसकी हत्या कर दी।
- इसी समय सिराजुद्दौला को मुगल शासक से एक फरमान मिला जिसमें बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा पर उसकी सूबेदारी का अनुमोदन कर दिया गया था।
- मोहन लाल नामक एक कश्मीरी युवक को सिराज ने इतना शक्तिशाली बना दिया कि वह प्रधानमंत्री जैसा व्यवहार करने लगा।
- सिराज का अंग्रेजों से सम्बन्ध कडुवाहट भरा था जिसके लिए कई कारण जिम्मेदार थे जिनमें प्रमुख इस प्रकार थे-
1. अंग्रेजों द्वारा नवाब की सत्ता की अवहेलना कर उसके विरुद्ध षड्यंत्र में शामिल लोगों को बढ़ावा देना।
2. नवाब के राज्यारोहण के समय उसे उचित सम्मान एवं उपहार कंपनी द्वारा न देना।
3. नवाब को कंपनी द्वारा कासिम बाजार फैक्ट्री के निरीक्षण की अनुमति न मिलना।
4. नवाब की अनुमति के बिना फोर्ट विलियम की किलेबंदी को सुदृढ़ करना।
5. फर्रुखसियर द्वारा प्रदत्त व्यापार का विशेष अधिकार दस्तक (Free Pass) का कम्पनी के कर्मचारियों द्वारा अपने निजी व्यापार में किया जा रहा दुरुपयोग।
- सिराज-उद-दौला और कंपनी के बीच होने वाले संघर्ष के लिये उपर्युक्त कारण ही जिम्मेदार थे।
- दस्तक वस्तुतः कर मुक्त व्यापार करने का परमिट या पारपत्र था। 1717 में मुगल सम्राट फर्रुखसियर द्वारा जारी फरमान में सीमाशुल्क से मुक्त व्यापार करने की अनुमति के बाद कलकत्ता की अंग्रेज फैक्ट्री का प्रेसीडेंट दस्तक को जारी करता था।
- दस्तक से कंपनी के कर्मचारी दो तरह से लाभ कमाते थे, एक तरफ तो वे दस्तक द्वारा बिना चुंगी दिये व्यापार करते थे और दूसरी ओर ये दस्तक अपने भारतीय मित्रों को बेंच कर भी पैसा कमाते थे।
- प्लासी के युद्ध के बाद दस्तक का दुरुपयोग बड़े पैमाने पर होने लगा। कार्नवालिस के समय दस्तक की सुविधा को समाप्त कर दिया गया।
- मई, 1756 ई० में सिराज ने समुचित कारणों के आधार पर कासिम बाजार पर आक्रमण का आदेश देकर उस पर कब्जा कर लिया।
- 15 जून, 1756 में कलकत्ता पर अधिकार करने हेतु नवाब ने स्वयं आक्रमण का नेतृत्व किया।
- कलकत्ता के गवर्नर ड्रेक को ज्वारग्रस्त फुल्टा द्वीप में शरण लेनी पड़ी, मिस्टर हॉलवेल ने अपने कुछ सहयोगियों के साथ नवाब के समक्ष आत्म समर्पण कर दिया।
- 20 जून को फोर्ट विलियम के पतन के बाद सिराज ने बंदी बनाये गये 446 कैदियों को जिसमें स्त्री और बच्चे भी थे को एक घुटन युक्त अंधेरे कमरे में बंद कर दिया। 21 जून को प्रातः काल तक कमरे में केवल 21 व्यक्ति ही जीवित बच्चे जिनमें अंग्रेज अधिकारी हॉलवेल भी शामिल थे।
- अंग्रेज इतिहासकारों ने 20-21 जून की इस घटना को 'काल कोठरी त्रासदी' (Black Hole Tragedy) की संज्ञा दी।
- अक्टूबर 1756 में अंग्रेजों द्वारा कलकत्ता पर पुनः अधिकार करने के लिए मद्रास से रावर्ट क्लाइव के नेतृत्व में सैनिक अभियान को कलकत्ता भेजा गया, इस सैन्य अभियान में एडमिरल वाट्सन, क्लाइव का सहायक भी शामिल था।
- क्लाइव ने पहले बजबज पर फिर 2 जून, 1757 को कलकत्ता पर अधिकार कर लिया, क्लाइव के बढ़ते हुए प्रभाव से भयभीत नवाब ने संधि का प्रस्ताव रखा।
- 9 फरवरी, 1757 को कंपनी और नवाब सिराज के मध्य सम्पन्न 'अलीनगर की संधि' की शर्तों के अनुसार नवाब ने मुगल बादशाह द्वारा कंपनी को प्रदत्त समस्त व्यापारिक सुविधा को स्वीकार कर लिया।
1. जिन अंग्रेज फैक्ट्रियों पर नवाब ने कब्जा किया हुआ था को वापस करते हुए युद्ध हर्जाना भी दिया।
2. अंग्रेजों को सिक्का ढालने एवं कलकत्ता में किलेबंदी का भी अधिकार मिल गया। 18 अगस्त, 1757 को अंग्रेजों ने कलकत्ता में अपनी टकसाल स्थापित की।
- बंगाल स्थित फ्रांसीसी बस्ती चंद्रनगर पर अधिकार करके कंपनी ने नवाब से कहा कि वे फ्रांसीसियों को बंगाल से बाहर निकाल दें जिसे नवाब को मानना पड़ा।
- सिराज की कमजोर हो रही स्थिति को महसूस कर अंग्रेजों ने मुर्शिदाबाद की गद्दी पर अपने किसी कठपुतली शासक को बैठाने की बात सोचने लगे, जिसमें सिराज के विरोधियों ने भी उनका साथ दिया।
- सिराज के विरोधियों में मीरजाफर जिसे नवाब ने सेनापति के पद से बर्खास्त किया था, राय दुर्लभ जो दीवान के पद पर कार्यरत था को नवाब ने मोहनलाल का अधीनस्थ बना दिया था तथा बंगाल के जगत सेठ शामिल थे जिन्हें कभी नवाब ने अपमानित किया था।
- अप्रैल-मई 1757 में सिराज के विरुद्ध सक्रिय दरबारी षड्यंत्रकारियों और अंग्रेजों के बीच कुछ गुप्त समझौते हुए, इस समझौते में महत्वपूर्ण भूमिका अमीचंद्र और वाट्सन (कासिम बाजार का प्रमुख) की थी।
- मीरजाफर को सिराज के बाद अगला बंगाल का नवाब प्रस्तावित कर अंग्रेज प्लासी के युद्ध की तैयारी में जुट गये।
प्लासी का युद्ध (1757 ई०)
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