- वर्तमान में प्लासी नदिया जिले में गंगा नदी के किनारे स्थित है। 1757 ई० में हुए प्लासी के युद्ध की गणना भारत के निर्णायक युद्धों में की जाती है।
- प्लासी के युद्ध में अंग्रेजी सेना ने 1100 यूरोपीय, 200 सिपाही तथा बंदूकची के साथ क्लाइव के नेतृत्व में हिस्सा लिया। दूसरी ओर 4500 सैनिकों वाली नवाब की सेना का नेतृत्व तीन राजद्रोही मीरजाफर, यारलतीफ खां और राय दुर्लभ ने किया।
- 23 जून, 1757 को मुर्शिदाबाद के दक्षिण में 22 मील की दूरी पर स्थित प्लासी नामक गांव में दोनों सेनायें आमने-सामने आईं, नवाब की सेना के वफादार सिपाही मीरमदान और मोहनलाल मैदान में लड़ता हुआ वीरगति को प्राप्त हुआ।
- सिराज की सेना के तीनों धोखेबाज सेनापति युद्ध क्षेत्र में एक भी गोला दागे वगैर वापस लौट गए।
- सेना को छिन्न-भिन्न देख नवाब घबराकर अपने महल की ओर भागा, अन्ततः उसकी हत्या कर दी गई।
- 28 जून, 1757 को अंग्रेजों ने मीरजाफर को बंगाल का नवाब घोषित किया गया।
युद्ध का परिणाम
- प्लासी के युद्ध के बाद बंगाल में ल्यूक स्क्राफ्ट्रन को नवाब के दरबार में अंग्रेज रेजिडेंट नियुक्त किया गया।
- प्लासी के युद्ध के बाद आर्थिक रूप से भारत के इस सबसे समृद्ध प्रांत को जी भर कर लूटा गया।
- 1757 से 60 के बीच मीरजाफर ने अंग्रेजों को तीन करोड़ रू० का घूस दिया, क्लाइव को युद्ध क्षतिपूर्ति के रूप में 37,70,833 पौण्ड प्राप्त हुआ।
- अल्फ्रेड लायल के अनुसार "प्लासी में क्लाइव की सफलता ने बंगाल में युद्ध तथा राजनीति का एक अत्यन्त विस्तृत क्षेत्र अंग्रेजों के लिए खोल दिया।"
- प्लासी के युद्ध के परिणामों की बक्सर के युद्ध में अंग्रेजों की विजय के साथ पुष्टि हुई। युद्ध ने अंग्रेजों को तात्कालिक सैनिक एवं वाणिज्यिक लाभ प्रदान किया, कंपनी का बंगाल, बिहार और उड़ीसा पर राजनीतिक प्रभुत्व स्थापित हुआ।
- प्लासी के युद्ध के परिणाम में इतिहासकार यदुनाथ सरकार ने कहा कि "23 जून, 1757 को भारत में मध्यकालीन युग का अंत हो गया और आधुनिक युग का शुभारम्भ हुआ। एक पीढ़ी से भी कम समय या प्लासी के युद्ध के 20 वर्ष बाद ही देश धर्मतंत्री शासन के अभिशाप से मुक्त हो गया।"
- डॉ० दीनानाथ वर्मा के शब्दों में "प्लासी का युद्ध एक ऐसे विशाल और गहरे षड्यंत्र का प्रदर्शन था, जिसमें एक ओर कुटिल नीति, निपुण बाघ था और दूसरी ओर भोला शिकार, युद्ध में अदूरदर्शिता की हार हुई और कुटिलता की जीत। यदि इसका नाम युद्ध है तो प्लासी का प्रदर्शन भी युद्ध था। लेकिन सामान्य भाषा में जिसे युद्ध कहते हैं वह प्लासी में कभी हुआ ही नहीं।"
- इतिहासकार के० एस० पन्निकर के अनुसार "प्लासी सौदा था, जिसमें बंगाल के धनी लोगों और मीरजाफर ने नवाब को अंग्रेजों को बेंच दिया।"
मीरजाफर (1757-1760 ई०)
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