- उपनिवेशवाद का मूल तत्व आर्थिक शोषण में निहित है, परन्तु इसका तात्पर्य यह नहीं कि एक उपनिवेश पर राजनीतिक नियंत्रण रखना आवश्यक नहीं है, अपितु उपनिवेशवाद का मूल स्वरूप ही आर्थिक शोषण के विभिन्न तरीकों में लक्षित होता है।
- 1757 के 'प्लासी के युद्ध' के बाद भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद की नींव पड़ी, जिसका प्रारम्भिक उद्देश्य यहां के उन साधनों को अपने कब्जे में लेना था, जिससे प्राप्त माल इंग्लैण्ड तथा अन्य यूरोपीय देशों में सरलता से बेचा जा सके।
- प्रसिद्ध विद्वान रजनीपाम दत्त ने अपनी ऐतिहासिक कृति इंडिया टुडे में भारतीय औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था का उल्लेखनीय चित्रण किया है जिसमें उन्होंने कार्लमार्क्स के (भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद और आर्थिक शोषण) तीन चरणों वाले सिद्धान्त को आधार बनाया है।
- प्लासी के युद्ध से पूर्व जहाँ ब्रिटेन को भारत से वस्तुओं को क्रय करने हेतु भुगतान सोने और चांदी में करना होता था, वहीं इस युद्ध के बाद ब्रिटेन को भुगतान के लिए सोने, चांदी की आवश्यकता नहीं रही, अब वह भुगतान यहीं से वसूले गये धन से करता था।
- भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद मुख्यत: तीन चरणों से गुजरा है जो इस प्रकार हैं -
1. वाणिज्यिक चरण (1757 - 1813)
2. औद्योगिक मुक्त व्यापार-(1813 - 1858)
3. वित्तीय पूँजीवाद - 1860 के बाद
- प्लासी के युद्ध के बाद उपनिवेशवाद के प्रथम चरण की शुरुआत होती है, इस चरण में ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय व्यापार पर पूर्ण रूप से कब्जा कर लिया।
- उपनिवेशवाद के प्रथम चरण में ईस्ट इंडिया कंपनी ब्रिटेन तथा यूरोप के अन्य देशों को कम कीमत पर तैयार भारतीय माल का निर्यात कर अच्छी कीमत वसूलती थी ।
- उपनिवेशवाद के इस चरण में बंगाल व अन्य प्रांतों से वसूले गये भू-राजस्व के बचे हुए हिस्से से भारतीय माल को खरीदा जाता था और उसे अन्य देशों को अच्छी कीमत पर निर्यात किया जाता था।
- 1757 के बाद कंपनी द्वारा भारत से निर्यात किये जाने वाले माल के बदले कुछ भी नहीं लौटाया गया, इस तरह प्रतिवर्ष भारतीय माल और सम्पत्ति का दोहन होता रहा, परिणाम स्वरूप इंग्लैण्ड अधिक अमीर और भारत अधिक गरीब होता गया।
- भारत की लूट और इंग्लैण्ड में पूंजी संचय का ही प्रत्यक्ष परिणाम था कि इंग्लैण्ड औद्योगिक क्रांति के दौर से गुजरा।
- आर० पी० दत्त के अनुसार कंपनी ने 1757 और 1765 के बीच बंगाल के नवाबों से करीब 40 लाख पौण्ड वार्षिक उपहार प्राप्त किया।
ब्रिटिश शासन का भारतीय कृषि पर प्रभाव
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