गुरुवार, 23 जनवरी 2025

ईस्ट इंडिया कम्पनी और बंगाल के नवाब

 


  • तत्कालीन बंगाल मुगलकालीन भारत का सर्वाधिक सम्पन्न राज्य था। इस समय बंगाल में आधुनिक पश्चिमी बंगाल प्रांत समूचा बांग्लादेश, बिहार और उड़ीसा शामिल थे। 
  • बंगाल के प्रथम स्वतंत्र शासक मुर्शीदकुली खां तथा उसके उत्तराधिकारी शुजाउद्दीन और अलीवर्दी खां के समय बंगाल इतना अधिक सम्पन्न हो गया कि इसे 'भारत का स्वर्ग' कहा जाने लगा।
  • 1705 में जहाँ बंगाल की जनसंख्या 15,000 थी वहीं 1750 ई० में यहां जनसंख्या बढ़कर एक लाख के करीब हो गई, ढाका और मुर्शिदाबाद दो घनी आबादी वाले जिले थे।
  • डचों, अंग्रेजों और फ्रांसीसियों ने बंगाल में जगह- जगह अपनी व्यापारिक बस्तियाँ स्थापित कर ली थीं जिनमें हुगली सर्वाधिक महत्वपूर्ण पत्तन था। 
  • 1633 से 1663 के बीच बंगाल में अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी ने मुगल शासन के अधीन फैक्ट्रियों और व्यापारिक कारखाने स्थापित करने तथा शांतिपूर्वक व्यापार करने के लक्ष्य पर कार्य किया। 
  • 1651 में शाहशुजा से अनुमति प्राप्त कर 'ईस्ट इंडिया कंपनी' ने हुगली में कारखाना स्थापित कर तत्कालीन बंगाल को प्रमुख निर्यात परक जॉस, शोरा, रेशम और चीनी का व्यापार प्रारम्भ किया। 
  • 1658 में बंगाल के सूबेदार मीरजुमला ने कंपनी के व्यापार को प्रतिबंध लगा दिया, लेकिन शीघ्र ही मीरजुमला की मृत्यु के बाद शाइस्ता खां ने कंपनी के व्यापारिक अधिकार को पुनः बहाल कर दिया।
  • 1670 से 1700 के बीच बंगाल में 'अनधिकृत अंग्रेज व्यापारियों' अथवा दस्तदाजों (Interlopers) का बोलबाला था, ये स्वतंत्र तथा कंपनी के नियंत्रण से मुक्त होकर व्यापार करते थे। 
  • इन व्यापारियों की गतिविधियां ही कालांतर में अंग्रेज और मुगलों के बीच संघर्ष का कारण बनीं।
  • बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला से पूर्व अलीवर्दी खां ही एक मात्र बंगाल का नवाब था जिसने अंग्रेजी एवं फ्रेंच कंपनी की गतिविधियों को नियंत्रित करते हुए कलकत्ता और चंद्रनगर की किलेबंदी के सुदृढ़ीकरण का विरोध किया।

सिराजउद्दौला (1756-57 ई०)

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