1. औरंगजेब अपनी राजपूत नीति के कारण राजपूतों की निष्ठा से वंचित हो गया, उसे उन राजपूत रणबांकुरों की सेवा नहीं मिल सकी जिन्होंने मुगल साम्राज्य के वैभव को कभी उत्कर्ष पर पहुंचाया था।
2. औरंगजेब ने अपने दक्कन के सैन्य अभियानों पर व्यापक मात्रा में धन और जन को नष्ट कर दिया तथा दक्कनी सैन्य अभियानों में व्यस्तता के कारण वह उत्तर भारत की ओर ध्यान नहीं दे सका, जो कालांतर में मुगल साम्राज्य के पतन का प्रमुख कारण बना।
3. औरंगजेब के बाद मुगल दरबार में उमरावर्ग का बढ़ता हुआ प्रभाव और उनकी शासक निर्माता की छवि भी मुगल साम्राज्य के पतन के लिए जिम्मेदार है।
4. औरंगजेब की मृत्यु के बाद विशाल मुगल साम्राज्य के लिए एक स्थिर केन्द्रीय प्रशासन का अभाव भी साम्राज्य के पतन का कारण बना।
5. औरंगजेब की धार्मिक असहिष्णुता की नीति ने अकबर, जहांगीर, शाहजहां के समय की धर्मनिरपेक्ष छवि को समाप्त कर दिया। औरंगजेब ने पुनः जजिया कर लगाकर, मंदिरों को तोड़ने का आदेश देकर अकबर की धार्मिक सहिष्णुता की नीति को गलत दिशा दिया परिणामस्वरूप मुगल साम्प्रज्य पतन के गर्त में पहुँच गया।
6. मुगल साम्राज्य के पतन के लिए कुछ हद तक नादिरशाह, अहमदशाह के आक्रमण, यूरोपीय कंपनियों के आगमन को भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
- औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात आने वाले बावन वर्षों में आठ सम्राटों ने दिल्ली के सिंहासन पर अधिकार जमाया। औरंगजेब की मृत्यु के बाद उसके पुत्रों मुअज्जम, मुहम्मद आजम और मुहम्मद कामबख्श में उत्तराधिकार के लिए युद्ध हुआ।
- औरंगजेब की नीतियों का प्रबल (सर्वाधिक) विरोधी उसका पुत्र शाहजादा अकबर पहले ही मारा जा चुका था।
- औरंगजेब की मृत्यु के समय मुगल साम्राज्य में कुल 21 प्रांत थे, जिसमें मुअज्जम काबुल, आजम गुजरात और कामबख्श बीजापुर का सूबेदार था।
- जाजौ में जून, 1707 ई० में लड़े गये युद्ध में मुअज्जम की सेनाओं ने आजम को परास्त कर मुगल सिंहासन पर अधिकार करने का मार्ग प्रशस्त कर लिया।
- 1707 में मुअज्जम बहादुरशाह प्रथम की उपाधि के साथ दिल्ली के तख्त पर
- बैठा।
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