- 1498 ई० को गुजरात के कालीकट के समुद्र तट पर प्रथम पुर्तगीज तथा प्रथम यूरोपीय यात्री वास्कोडिगामा 90 दिन की समुद्री यात्रा के बाद 'अब्दुल मनीक' नामक गुजराती पथ-प्रदर्शक की सहायता से उतरा।
- कालीकट के शासक जमोरिन ने वास्कोडिगामा का स्वागत किया, लेकिन कालीकट के समुद्र तटों पर पहले से ही व्यापार कर रहे अरबों ने वास्कोडिगामा का विरोध किया।
- वास्कोडिगामा ने भारत में कालीमिर्च के व्यापार से 60 गुना अधिक मुनाफा कमाया, जिससे अन्य पुर्तगीज व्यापारियों को भी भारत आने का प्रोत्साहन मिला।
- पुर्तगालियों के भारत में दो प्रमुख उद्देश्य थे— अरबों और वेनिश के व्यापारियों का भारत से प्रभाव समाप्त करना तथा ईसाई धर्म का प्रचार करना।
- पुर्तगाली शासकों द्वारा पूर्वी व्यापार को विशेष प्रोत्साहन तथा शाही एकाधिकार प्रदान किया गया।
- पुर्तगाली सामुद्रिक साम्राज्य को 'एस्तादो द इण्डिया' नाम दिया गया।
- 1500 ई० में वास्कोडिगामा के बाद भारत आने वाला दूसरा पुर्तगाली यात्री पेड्रो अल्ब्रेज कैवाल था।
- 1502 ई० में वास्कोडिगामा दूसरी बार भारत की यात्रा आया।
- 1503 ई० में पूर्वी जगत के कालीमिर्च और मसालों के व्यापार पर एकाधिकार प्राप्त करने के उद्देश्य से पुर्तगालियों ने कोचीन (भारत) में अपने पहले दुर्ग की स्थापना की।
- 1505-1509 ई० भारत में प्रथम पुर्तगाली वायसराय के रूप में फांसिस्को डी अल्मेडा का आगमन हुआ।
- 1503 ई० में अल्मेडा ने टर्की, गुजरात, और मिस्र की संयुक्त सेना को पराजित कर दीव पर अधिकार कर लिया, दीव पर कब्जे के बाद पुर्तगाली हिन्दमहासागर में सबसे अधिक शक्तिशाली हो गये।
- अल्फांसो डी अल्बुकर्क 1503 ई० में भारत स्क्वेड्रेन कमाण्डर के रूप में आया था, 1509 में इसे भारत में वायसराय नियुक्त कर दिया गया।
- अल्फांसो डी अल्बुकर्क को भारत में "पुर्तगाली साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक” माना जाता है।
- 1510 ई० में अल्बुकर्क ने बीजापुर के शासक आदिलशाह युसुफ से गोआ को छीन लिया जो कालांतर में भारत में पुर्तगीज व्यापारिक केन्द्रों की राजधानी बनायी गई।
- 1511 ई० में अल्बुकर्क ने द०पू० एशिया की व्यापारिक मण्डी मलक्का और हुरमुज पर अधिकार कर लिया।
- इसके समय में पुर्तगाली भारत में शक्तिशाली नौसैनिक शक्ति के रूप में स्थापित हुए।
- अल्फांसो डी अल्बुकर्क ने भारत में पुर्तगालियों की संख्या में वृद्धि करने एवं उनकी स्थायी बस्तियां बसाने के उद्देश्य से निम्नवर्गीय पुर्तगालियों को भारतीय महिलाओं के साथ विवाह करने के लिए प्रोत्साहित किया।
- अल्बुकर्क ने अपनी सेना में भारतीयों की भी भर्ती की थी।
- 1529–38 ई० में भारत आये पुर्तगाली वायसराय नीनू डी कुन्हा ने 1530 ई० में कोचीन की जगह गोवा को राजधानी बनाया।
- नीनू डी कुन्हा ने सैनथोमा (मद्रास), हुगली (बंगाल) और दीव (काठियावाड़) में पुर्तगीज बस्तियों की स्थापना की।
- पुर्तगीज वायसराय जोवा डी-कैस्ट्रो ने पश्चिमी भारत के चाऊल (1531), दीव (1532), सॉलसेट और बेसिन (1536) और बम्बई पर अधिकार कर लिया।
- पुर्तगाली व्यापारी पूर्वीतट के कोरोमण्डल समुद्रीतट के मसुलीपट्टम और पुलिकट शहरों से वस्त्र एकत्र करते थे।
- मलक्का तथा मनीला आदि पूर्वी एशियाई देशों से व्यापार के लिए नागपट्टनम् बंदरगाह का पुर्तगाली प्रयोग करते थे।
- 1534 में बंगाल के शासक महमूदशाह द्वारा पुर्तगालियों ने चटगाँव और सतगाँव में अपनी व्यापारिक फैक्ट्री खोलने की अनुमति प्राप्त की।
- चटगाँव (बंगाल) के बन्दरगाह को पुर्तगाली 'महान बंदरगाह' की संज्ञा देते थे।
- पुर्तगालियों ने अकबर की अनुमति से हुगली में तथा शाहजहाँ की अनुमति से बंदेल में कारखाने स्थापित किये।
- पुर्तगालियों ने हिन्दमहासागर से होने वाले व्यापार पर एकाधिकार प्राप्त कर यहाँ से गुजरने वाले अन्य जहाजों से कर की वसूली प्राप्त की।
- पुर्तगालियों ने 'कार्ट्ज–आर्मेडा काफिला पद्धति' के द्वारा भारतीय तथा अरबी जहाजों को कार्ट्ज या परमिट के बिना अरब सागर में प्रवेश वर्जित कर दिया।
- अरबी और भारतीय जहाजों को जिन्हें कार्ट्ज प्राप्त होता था, को कालीमिर्च और गोला बारुद ले जाने की अनुमति नहीं थी।
- पुर्तगालियों ने काफिला प्रणाली के अन्तर्गत छोटे स्थानीय व्यापारियों के जहाजों को समुद्री यात्रा के समय संरक्षण प्रदान किया। इसके लिए जहाजों को चुंगी देनी होती थी।
- पुर्तगाली अधिकार वाले क्षेत्रों से व्यापार करने के लिए मुगल सम्राट को भी पुर्तगालियों से कार्ट्ज या परमिट लेना पड़ा था।
- 1632 ई० में शाहजहाँ ने पुर्तगालियों के अधिकार से हुगली को छीन लिया था, औरंगजेब ने चटगांव के समुद्री लुटेरों का सफाया कर दिया था।
- पुर्तगालियों ने भारत या पूर्व के साथ व्यापार में वस्तु विनिमय का सहारा नहीं लिया, यहां से वस्तुओं की खरीद में पुर्तगीज सोना, चांदी तथा अन्य अनेक बहुमूल्य रत्नों का प्रयोग करते थे।
- पुर्तगाली मालाबार और कोंकण तट से सर्वाधिक कालीमिर्च का निर्यात करते थे। मालाबार तट से अदरख, दालचीनी, चंदन, हल्दी, नील आदि का निर्यात होता था।
- उत्तर-पश्चिम भारत से पुर्तगाली राफ्टा (वस्त्र), जिंस आदि ले जाते थे। जटामांसी बंगाल से तथा द० पू० एशिया से लाख, लौंग, कस्तूरी आदि क्रय करते थे।
- भारत से केवल कालीमिर्च के खरीद के लिए पुर्तगाली प्रतिवर्ष 1,70,000 क्रूजेडो भारत लाते थे।
- 1542-45 ई० में पुर्तगाली गवर्नर अल्फांसो डिसूजा के साथ प्रसिद्ध जेसुइट संत फ्रांसिस्को जेवियर भारत आये थे।
- पुर्तगाली गोवा, दमन और दीव पर 1961 ई० तक शासन करते रहे।
- पुर्तगालियों के भारत आगमन से भारत में तम्बाकू की खेती, जहाज निर्माण (गुजरात और कालीकट) तथा प्रिंटिंग प्रेस की शुरुआत हुई।
- 1556 ई० में गोआ में पुर्तगालियों ने भारत का प्रथम प्रिंटिंग प्रेस स्थापित की।
- 1563 में भारतीय जड़ी-बूटियों और औषधीय वनस्पतियों पर यूरोपीय लेखक द्वारा लिखित पहले वैज्ञानिक ग्रंथ का गोआ से प्रकाशन हुआ।
- पुर्तगालियों के साथ भारत में 'गोथिक' स्थापत्यकला का आगमन हुआ।
- पुर्तगालियों के भारतीय व्यापार के पतन के निम्नलिखित कारण थे-
- (i) भारतीय जनता के प्रति धार्मिक असहिष्णुता की भावना, (ii) गुप्त रूप से व्यापार करना तथा डकैती और लूटमार को अपनी नीति का हिस्सा बनाना, (iii) नये उपनिवेश ब्राजील की खोज, (iv) अन्य यूरोपीय व्यापारिक कंपनियों से प्रतिस्पर्धा, (v) अपर्याप्त व्यापारिक तकनीक, (vi) पुर्तगीज वायसरायों पर पुर्तगाली राजा का अधिक नियंत्रण।
- ईसाई धर्म का मुगल शासक अकबर के दरबार में प्रवेश फादर एकाबिवा और माँसरेत के नेतृत्व में हुआ।
डच (1602 ई०)
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें