- 1857 ई० के महाविद्रोह के कारणों और स्वरूप के बारे में इतिहासकारों में पर्याप्त मतभेद है।
- ब्रिटिश और भारतीय विद्वानों में अधिकांश विद्रोह का कारण सैनिकों की शिकायतों और चरबीयुक्त कारतूस को मानते हैं। परन्तु आधुनिक खोजों से यह बात लगभग सिद्ध हो जाती है कि सैनिक असन्तोष के लिए चरबीयुक्त कारतूस तो एक मात्र कारण था न कि सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारण।
- 1857 के विद्रोह को जन्म देने वाले कारणों में राजनैतिक सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक सभी कारण जिम्मेदार हैं।
- राजनीतिक कारणों में डलहौजी की 'व्यपगत नीति' और वेलेजली की 'सहायक संधि' की विद्रोह को जन्म देने में महत्वपूर्ण भूमिका रही।
- डलहौजी ने तंजौर और कर्नाटक के नवाबों की राजकीय उपाधियां जब्त कर ली, मुगल बादशाह को अपमानित करने के लिए उन्हें नजर देना, सिक्कों पर नाम खुदवाना आदि परम्परा को डलहौजी ने समाप्त करवा दिया, साथ ही बादशाह को लाल किला छोड़कर कुतुबमीनार में रहने का आदेश दिया गया।
- मुगल बादशाह चूँकि भारतीय जनता का प्रतिनिधित्व करता था इसलिए उसके अपमान में जनता ने अपना अपमान महसूस किया और विद्रोह के लिए मजबूर हुए।
- डलहौजी ने अपने व्यपगत नीति द्वारा जैतपुर, सम्भलपुर, झांसी, नागपुर आदि राज्यों को ब्रिटिश साम्राज्य में विलय कर लिया। साथ ही अवध के नवाब को गद्दी से उतार दिया गया, भूतपूर्व पेशवा की पेंशन जब्त कर ली गई, यह सब कारण व्यापक असन्तोष फैलाने के लिए पर्याप्त था।
- राजनीतिक कारणों के साथ ही प्रशासनिक कारण विद्रोह के लिए जिम्मेदार थे।
- प्रशासनिक कार्यों में भारतीयों की भागीदारी जातीय श्रेष्ठता पर आधारित थी।
- कोई भी भारतीय, सूबेदार से ऊंचे पद तक नहीं पहुंच पाता था, न्यायिक क्षेत्र में अंग्रेजों को हर स्तर पर भारतीयों से श्रेष्ठ माना गया।
- कंपनी की भू-राजस्व व्यवस्था ने अधिकांश अभिजात वर्ग को निर्धन बना दिया था।
- बम्बई में स्थापित इनाम कमीशन ने अपने सिफारिशों के आधार पर करीब 20,000 जागीरों को जब्त कर लिया।
- स्थायी बंदोबस्त, रैयतवाड़ी व्यवस्था और फिर महालवारी व्यवस्था द्वारा किसानों का जबरजस्त शोषण हुआ और वे निर्धनता के कुचक्र में फंसते चले गये।
- 1857 के महाविद्रोह के लिए सामाजिक और धार्मिक कारण भी जिम्मेदार थे।
- सामाजिक और धार्मिक कारणों में अंग्रेजी प्रशासन के सुधारवादी उत्साह के अन्तर्गत पारम्परिक भारतीय प्रणाली और संस्कृति संकटग्रस्त स्थिति में पहुंच गई, जिसका रूढ़िवादी भारतीयों ने जमकर विरोध किया।
- ईसाई धर्म के प्रचार के लिए पर्याप्त सुविधाएं सरकार द्वारा प्रदान की गई। ‘1856 के धार्मिक निर्योग्यता अधिनियम' (Religions Disability) द्वारा ईसाई धर्म ग्रहण करने वाले लोगों को अपनी पैतृक सम्पत्ति का हकदार माना गया साथ ही उन्हें नौकरियों में पदोन्नति, शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश की सुविधा प्रदान की गई।
- अंग्रेजों की इस नीति ने भारतीयों को अन्ततः विद्रोह के लिए मानसिक रूप से तैयार कर दिया था।
- 1833 के चार्टर अधिनियम द्वारा ईसाई मिशनरियों को भारत में धर्म प्रचार की अनुमति मिल गई।
- कंपनी के नियंत्रण मण्डल के अध्यक्ष मैंगल्स ने 1857 में ब्रिटिश संसद में बोलते हुए कहा था कि "ईश्वर ने भारत का विशाल साम्राज्य अंग्रेजों को ईसामसीह की विजय पताका को एक छोर से दूसरे छोर तक फहराने के लिए दिया है। प्रत्येक अंग्रेज को अपनी पूरी शक्ति को इस कार्य में लगा देना चाहिए ताकि सारे भारत को ईसाई बनाया जा सके।"
आर्थिक कारण
- 1857 के विद्रोह के लिए आर्थिक कारण भी जिम्मेदार थे भारत में अंग्रेजी साम्राज्य का सबसे बड़ा अभिशाप था देश का आर्थिक शोषण।
- प्लासी के युद्ध के बाद निरन्तर भारत का शोषण होता रहा जो शायद जन असन्तोष का सबसे महत्वपूर्ण कारण बना था।
- ब्रिटिश भू-राजस्व नीतियां, कानून तथा प्रशासन की प्रणालियों ने बड़ी संख्या में किसानों और जमींदारों की भूमि को उनके अधिकार से अलग कर दिया।
- भारत के आर्थिक शोषण और पारम्परिक आर्थिक ढांचे का पूर्णतया विनाश ने किसानों, दस्तकारों और हस्तशिल्पकारों तथा बड़ी संख्या में परम्परागत जमींदारों को दरिद्र बना दिया।
- जमींदारों और किसानों का उत्पीड़न तथा उनसे बड़ी मात्रा में धन की उगाही आदि ऐसे कारण थे जिन्होंने असन्तोष को जन्म दिया, परिणामस्वरूप महाविद्रोह की भूमिका बनी।
सैनिक कारण
- चर्बी लगे कारतूसों के प्रयोग को 1857 के व्रिदोह का तात्कालिक कारण माना जाता है।
- 1857 के महाविद्रोह के सैनिक कारणों में अनेक ऐसे कारण थे जिन्होंने इस विद्रोह की पृष्ठभूमि तैयार की थी।
- अंग्रेजी सेना में कार्यरत भारतीय सैनिकों में अधिकांश कनिष्ठ अफसर थे, उन्हें पदोन्नति का कोई फायदा नहीं दिया जाता था।
- पदोन्नति से वंचित, वेतन की न्यून मात्रा भारत की सीमाओं से बाहर युद्ध के लिए भेजा जाना तथा समुद्रपार भत्ता न देना आदि ऐसे कारण थे जिन्होंने भारतीय सैनिकों में असन्तोष को जन्म दिया और वे विद्रोह के लिए विवश हुए।
- ऐसे समय में जब अनेक कारणों से जनता में अंग्रेजी शासन के विरुद्ध क्रोध की ज्वाला पहले से भड़क रही थी, कैनिंग की दो घोषणाओं ने आग में घी का काम कर दिया।
कैनिंग की दो घोषणायें –
1. सेना में नये रंगरूटों के लिए समुद्रपार के ब्रिटिश प्रदेशों में सेवा करना अनिवार्य कर दिया गया, जिसे भारतीय सैनिक अपने धर्म विरुद्ध समझते थे।
2. सैनिकों को एक ऐसे कारतूस के प्रयोग के लिए विवश होना पड़ा जिसमें गाय और सुअर की चर्बी लगी हुई थी।
- 1857 में कैनिंग सरकार ने सैनिकों के प्रयोग के लिए ब्राउन बैस के स्थान पर एनफील्ड रायफल का प्रयोग शुरू करवाया जिसमें कारतूस को लगाने से पूर्व दांत से खींचना पड़ता था, चूंकि कारतूस में गाय और सुअर दोनों की चर्बी लगी थी इसलिए हिन्दू और मुसलमान दोनों भड़क उठे परिणाम स्वरूप 1857 के महाविद्रोह की शुरुआत हुई।
1857 ई० के विद्रोह की योजना
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