- यह कहना बिल्कुल गलत होगा कि 1857 का महाविद्रोह अकस्मात प्रस्फुट हो गया हो, इसके पीछे काफी दिनों की तैयारी और पर्याप्त संगठन था।
- इतिहासकार सुन्दर लाल के अनुसार "इस राष्ट्रीय प्रयत्न की तह में उतनी ही गहरी योजना और उतना ही व्यापक और गुप्त संगठन था, जहाँ तक मालूम हो सकता है, इस विशाल योजना का सूत्रपात कानपुर के समीप बिठूर या फिर लंदन में हुआ।"
- कुछ इतिहासकार मानते हैं कि नाना साहब (धुन्धू पंत) के निकटस्थ 'अजीमुल्ला खां' तथा सतारा के अपदस्थ राजा के निकटवर्ती 'रणोजी बापू' ने लंदन में विद्रोह की योजना बनाई।
- अजीमुल्ला ने बिठूर (कानपुर) मे नाना साहब के साथ मिलकर विद्रोह की योजना को अंतिम रूप देते हुए 31 मई, 1857 को क्रांति का दिन निश्चित किया।
- क्रांति के प्रतीक के रूप में कमल और रोटी को चुना गया।
- कमल के फूल को उन सभी सैन्य टुकड़ियों तक पहुंचाया गया जो विद्रोह में शामिल थी तथा रोटी को एक गांव का चौकीदार दूसरे गांव तक पहुंचाता था।
- सर जॉन के अनुसार "महीनों से नहीं बल्कि वर्षों से ये लोग सारे देश के ऊपर अपनी साजिशों का जाल फैला रहे थे, नाना साहब के दूत पत्र लेकर घूम चुके थे। इन पत्रों में होशियारी के साथ और शायद रहस्यपूर्ण शब्दों में भिन्न- भिन्न पदों के नरेशों और सरदारों को सलाह दी गई थी और उन्हें युद्ध में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था।"
घटनाक्रम
- 1857 ई० के विद्रोह से पूर्व चर्बी लगे कारतूसों के प्रयोग से चारों तरफ व्याप्त असन्तोष ने विद्रोह के लिए निर्धारित तिथि से पूर्व ही विस्फोट को जन्म दे दिया।
- 29 मार्च, 1857 को चर्बीयुक्त कारतूसों के प्रयोग के विरुद्ध पहली घटना बैरकपुर की छावनी में घटी जहाँ मंगल पाण्डे नामक एक सिपाही ने चर्बी लगे कारतूस के प्रयोग से इंकार करते हुए अपने अधिकारी लेफ्टिनेंट बाग और लेफ्टिनेंट जनरल ह्यूसन की हत्या कर दी।
- मंगल पाण्डे उ० प्र० के तत्कालीन गाजीपुर (अब बलिया) जिले का रहने वाले थे। वह बंगाल स्थित बैरकपुर छावनी की इनफैन्ट्री के जवान थे।
- 8 अप्रैल, 1857 को सैनिक अदालत के निर्णय के बाद मंगल पाण्डे को फांसी की सजा दे दी गई।
1857 ई० के विद्रोह का प्रसार
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