- 1701 ई० में मुर्शीदकुली खां को औरंगजेब ने बंगाल का सुबेदार नियुक्त किया था।
- मुर्शीदकुली एक साथ बंगाल, बिहार और उड़ीसा का सूबेदार था।
- मुगल कालीन सूबों में बंगाल सबसे धनी प्रांत था अपनी समृद्धि और राजधानी दिल्ली से दूरी के कारण यहां के शासक प्राय: केन्द्रीय सत्ता के विरुद्ध विद्रोह करते रहते थे।
- मुर्शीदकुली खां ने 1704 ई० में बंगाल की राजधानी को ढाका से हटाकर मुर्शिदाबाद में हस्तांतरित किया।
- 1707 में औरंगजेब की मृत्यु के बाद बंगाल मुर्शीदकुली खां के नेतृत्व में पूर्ण स्वतंत्र हो गया।
- मुर्शीदकुली खां ने बंगाल में नई भू-राजस्व व्यवस्था के अन्तर्गत किसानों को 'तकावी ऋण' प्रदान किया तथा बंगाल में इजारेदारी प्रथा को बढ़ावा दिया।
- 'इजारेदारी व्यवस्था' से किसानों के शोषण में तेजी आई, लेकिन सरकारी खजाने में धन की मात्रा में वृद्धि हुई।
- मुर्शीदकुली खां ने स्वतंत्र होने के बाद भी मुगल सम्राट के प्रति निष्ठा जताते हुए उन्हें वार्षिक कर और नजराने भेंट में देता रहता था क्योंकि वह मुगलों का विश्वास अपने ऊपर बनाये रखना चाहता था।
- मुर्शीदकुली खां को बंगाल में नयी जमींदारी पर आधारित 'कुलीन वर्ग' का जनक माना जाता है, उसने व्यापार की गति को भी बढ़ाया।
- 1726 ई० में मुर्शीद कुली खाँ की मृत्यु के बाद शुजाउद्दीन अगला बंगाल का नवाब बना।
- शुजाउद्दीन के प्रमुख प्रशासनिक सलाहकारों में शामिल थे- राय ए रायान, आलमचंद (वित्त विशेषज्ञ), जगत सेठ फतहचंद (साहूकार) तथा अलीवर्दी खां और हाजी अहमद खां ।
- 1739 में शुजाउद्दीन ने अलीवर्दी खां को बिहार का नायब नाजिम नियुक्त किया। इसी समय शुजाउद्दीन की मृत्यु हो गई।
- 13 मार्च, 1739 शुजाउद्दीन के बाद उसका पुत्र आलम-उद-दौला हैदरजंग सरफराज खां बंगाल का नवाब हुआ ।
- सरफराज की प्रशासनिक कार्यों के प्रति निष्क्रियता और अयोग्यता के कारण शीघ्र ही बंगाल में हुई एक क्रांति द्वारा सरफराज को राजसिंहासन और जीवन दोनों का त्याग करना पड़ा।
- 1740 ई० में राजमहल के समीप लड़े गये 'गिरिया के युद्ध' में सरफराज खां बुरी तरह पराजित हुआ।
- अलीवर्दी खां के नेतृत्व में हुई इस क्रांति में हाजी अहमद और जगत सेठ भी शामिल थे।
- बंगाल का अगला नवाब अलीवर्दी खां (1740 से 1756 ई०) हुआ, जो बंगाल का अंतिम शक्तिशाली नवाब सिद्ध हुआ।
- अलीवर्दी एक योग्य शासक था इसने अपने शासनकाल में भूमि सुधारों के अलावा व्यापार को भी प्रोत्साहित किया।
- 1751 ई० में आठ वर्ष तक लगातार बंगाल में मराठा आक्रमणों को उस समय विराम मिला जब अलीवर्दी खां ने मराठों से एक संधि कर ली।
- इसने अंग्रेजों और फ्रांसीसियों की स्वेच्छाचारिता पर अंकुश लगाते हुए क्रमशः कलकत्ता और चंद्रनगर की अपनी-अपनी बस्तियों के किलेबंदी का विरोध किया।
- अलीवर्दी खां के शासन काल के अंतिम दिनों में अंग्रेजों ने कलकत्ता की किलेबंदी प्रारम्भ कर दी, दूसरी ओर मराठा आक्रमणों ने भी इस समय नवाब को तंग किया।
- 1756 ई० में जलशोध की बीमारी से अलीवर्दी खां की मृत्यु हो गई।
- अलीवर्दी खां ने यूरोपियनों के बारे में कहा कि "यदि उन्हें न छेड़ा जाये तो वे शहद देंगी और यदि छेड़ा जाये तो काट-काट कर मार डालेगी।"
- अलीवर्दी खां की मृत्यु के बाद उसका नाती सिराजुद्दौला बंगाल का नवाब बना, जिसके लिए बंगाल का शासन फूलों का सेज नहीं बल्कि कांटों का सेज साबित हुआ।
नवीन स्वायत्त राज्य (18वीं सदी) स्मरणीय तथ्य
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