- 1722 ई० में अवध स्वतंत्रता की घोषणा सआदत खां बुरहान मुल्क ने की।
- सआदत के बाद उसका भतीजा तथा दामाद सफदरजंग (अबुल मंसूर खा) अवध का नवाब बना।
- 1761 ई० में लड़े गये पानीपत के तृतीय युद्ध में शुजाउद्दौला ने अहमदशाह अब्दाली का साथ दिया।
- अवध का अगला नवाब सादतखां (1738-1814 ई०) हुआ, जिसने अंग्रेजों से सहायक संधि कर ली थी।
- अवध का अंतिम नवाब वाजिद अलीशाह (1847-1856) था। इसी के शासनकाल में अवध पर कुशासन का आरोप लगाकर 1856 ई० में अवध को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया गया।
- 1724 ई० में हैदराबाद में स्वतंत्र आसफजाही वंश की स्थापना, मुगल बादशाह मुहम्मदशाह द्वारा दक्कन में नियुक्त सूबेदार चिनकिलिच खां (निजामुलमुल्क) ने की।
- 'शकूरखेड़ा के युद्ध' में चिनकिलिच खां ने मुगल सूबेदार मुबारिज खां को पराजित किया था।
- हैदराबाद भारतीय राज्यों में ऐसा प्रथम राज्य था जिसने वेलेजली की सहायक संधि के तहत एक आश्रित सेना रखना स्वीकार किया था।
- स्वतंत्र कर्नाटक राज्य का संस्थापक सादतुल्ला खां को माना जाता है। इसने आरकाट को अपनी राजधानी बनाया।
- आमेर के राजा जयसिंह को मिर्जा राजा संवाई की उपाधि मुगल बादशाह जहांदारशाह ने दी थी।
- 'जयसिंह ने मथुरा, उज्जैन, जयपुर और दिल्ली में आधुनिक उपकरणों से युक्त वेधशालाओं का निर्माण कराया ।
- आमेर के राजा जयसिंह को अपने शासन काल में दो अश्वमेध यज्ञ करवाने का भी श्रेय दिया जाता है।
- जाट नेता सूरजमल को 'जाट जाति का प्लेटो' कहा जाता है।
- स्वतंत्र रूहेलखण्ड की स्थापना वीर दाऊद और अलीमुहम्मद खां ने की थी। रुहेला सरदार नजीबुद्दौला अहमदशाह अब्दाली का विश्वासपात्र था।
- तालीकोटा का निर्णायक युद्ध जिसने विजयनगर साम्राज्य का अंत कर दिया, उसके अवशेषों पर जिन स्वतंत्र राज्यों का जन्म हुआ, उनमें मैसूर एक प्रमुख राज्य था।
- 1749 ई० में नंजराज जो मैसूर राज्य में राजस्व और वित्त नियंत्रक था ने हैदरअली को उसके अधिकारी सैनिक जीवन को शुरू करने का अवसर दिया।
- 1755 में हैदरअली डिंडीगुल का फौजदार बना। 7 दिसम्बर, 1782 को हैदरअली की मृत्यु हो गई।
- मंगलौर की संधि से असंतुष्ट गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स ने कहा कि "यह लार्ड मैकार्टनी कैसा आदमी है, मैं अभी भी विश्वास करता हूँ कि वह संधि के बावजूद भी कर्नाटक को खो देगा।"
- टीपू द्वारा जारी सिक्कों पर हिन्दू देवी-देवताओं के चित्र तथा हिन्दू संवत् की आकृतियां अंकित थी।
- टीपू सुल्तान ने वर्षों और महीनों के नाम से अरबी भाषा का प्रयोग करवाया।
- टीपू सुल्तान ने श्रृंगेरी के जगदगुरू शंकराचार्य के सम्मान में मंदिरों के पुनर्निर्माण हेतु धन दान किया।
- टीपू सुल्तान प्रथम भारतीय शासक था जिसने अपने प्रशासनिक व्यवस्था में पाश्चात्य प्रशासनिक व्यवस्था का मिश्रण किया।
- फ्रांसीसी क्रांति से प्रभावित टीपू ने श्रीरंगपट्टनम में 'जैकोबिन क्लब' की स्थापना की और उसका सदस्य बना।
- टीपू ने अपनी राजधानी में फ्रांस और मैसूर के मैत्री का प्रतीक 'स्वतंत्रता का वृक्ष' रोपा।
- 4 मई, 1799 ई० को टीपू ने संयुक्त अंग्रेजी सेना से बहादुरी के साथ लड़ता हुआ मारा गया।
- मैसूर को जीतने की खुशी में आयरलैण्ड के लार्ड समाज में वेलेजली को ‘मार्कविस' की उपाधि प्रदान की।
- सिक्खों के दसवें तथा अंतिम गुरु गोविन्द सिंह जी ने 1699 ई० में व्यक्तिगत गुरुत्व के सिद्धान्त को खत्म कर खालसा की स्थापना की, जिसके कारण सिक्खों को विशिष्ट वेषभूषा केश, कंघा, कृपाण, कड़ा, कच्छ आदि धारण करना होता था।
- बंदाबहादुर जिसका बचपन का नाम लक्ष्मणदेव था, ने पंजाब के सिक्ख किसानों को एकत्र कर मुगलों से लगातार आठ वर्ष (1707 से 1715) तक संघर्ष किया तथा सिक्खों को दुर्जेय शक्ति बनाया।
- बंदाबहादुर को उसके शिष्य सच्चा पादशाह अथवा सच्चा सम्राट कहते थे।
- 1716 ई० में मुगल बादशाह फर्रुखसियर द्वारा बंदाबहादुर की उसके पुत्र समेत हत्या कर दी गई, जिसके बाद सिक्ख राष्ट्र का भाग्य निम्नतम् स्तर पर पहुंच गया।
- जस्सा सिंह के नेतृत्व में ही दल खालसा 12 स्वतंत्र मिसल या जत्थों में विभाजित हो गया।
- कनिघंम ने यहां 'मिसल' को अरबी भाषा का शब्द बताया है जिसका अर्थ है 'समान या एक जैसा'।
- राजा रणजीतसिंह को अफगान शासक शाहशुजा से ही वह प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा प्राप्त हुआ जिसे नादिरशाह लाल किले से लूटकर ले गया था।
- राजा रणजीतसिंह की स्थायी सेना 'फौज-ए-आइन' के नाम से जानी जाती थी। जो उस समय एशिया में दूसरे स्थान पर थी।
- रणजीत सिंह ने लाहौर में तोपनिर्माण का कारखाना खोला, जिसमें मुस्लिम तोपची नौकरी पर रखे गये।
- इतिहासकार हंटर महोदय ने रणजीत सिंह की फौज के बारे में कहा कि "स्थिरता और धार्मिक जोश में ओलिवर कैम्पवेल के आयरन साइड्स (लौह सैनिक) के बाद इस सेना का कोई जोड़ा नहीं।"
- यूरोपीय (फ्रांसीसी) विक्टर जैक्वीमौ ने रणजीत को "एक असाधारण पुरुष छोटे पैमाने पर एक बोनापार्टा कहा। "
- डलहौजी ने चिलियानवाला युद्ध के परिणाम के बारे में कहा कि "हमने भारी खर्च उठाकर एक ऐसी विजय प्राप्त की है, जो पराजय के बराबर है।"
- 1701 ई० में मुर्शीद को औरंगजेब ने बंगाल का सुबेदार नियुक्त किया था। औरंगजेब की मृत्यु के बाद बंगाल मुर्शीदकुली खां के नेतृत्व में पूर्ण स्वतंत्र हो गया।
- मुर्शीदकुली एक साथ बंगाल, बिहार और उड़ीसा का सूबेदार था।
- मुर्शीदकुली खां ने 1704 ई० में बंगाल की राजधानी को ढाका से हटाकर मुर्शिदाबाद में हस्तांतरित किया।
- अलीवर्दी खां ने यूरोपियनों के बारे में कहा कि "यदि उन्हें न छेड़ा जाये तो वे शहद देंगी और यदि छेड़ा जाये तो काट-काट कर मार डालेगी।"
- अलीवर्दी की मृत्यु के बाद उसका नाती सिराजुद्दौला बंगाल का नवाब बना, जिसके लिए बंगाल का शासन फूलों का सेज नहीं बल्कि कांटों का सेज साबित हुआ।
शुक्रवार, 17 जनवरी 2025
नवीन स्वायत्त राज्य (18वीं शताब्दी) स्मरणीय तथ्य
Pariksha Pointer
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5:10 pm
History, Modern History
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