रविवार, 19 जनवरी 2025

अंग्रेज (1599 ई०)

 


  • 1599 ई० में जॉन मिल्डेनहाल नामक ब्रिटिश यात्री थल मार्ग से भारत आया।
  • 1599 ई० में इंग्लैण्ड में एक मर्चेण्ट एडवेंचर्स नामक दल ने अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी अथवा 'दि गवर्नर एण्ड कम्पनी ऑफ मर्चेन्ट्स ऑफ ट्रेडिंग इन टू द ईस्ट इंडीज,’ की स्थापना की।
  • भारत में आकर अपनी व्यापारिक गतिविधियाँ आरम्भ करने वाली सभी यूरोपीय व्यापारिक कम्पनियों में अंग्रेज सर्वाधिक सफल रहे।
  • अंग्रेजों की सफलता का कारण था इनका भारत सहित समूचे एशियाई व्यापार के स्वरूप को समझना तथा व्यापार विस्तार में राजनैतिक सैनिक शक्ति का सहारा लेना।
  • दिसम्बर, 1600 ई० में ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ टेलर प्रथम ने ईस्ट इंडिया कंपनी को पूर्व के साथ व्यापार के लिए पन्द्रह वर्षों के लिए अधिकार पत्र प्रदान किया। 
  • कंपनी का प्रारम्भिक उद्देश्य 'भू-भाग नहीं बल्कि व्यापार' था।
  • 1609 ई० में सम्राट जेम्स प्रथम ने कम्पनी के व्यापारिक अधिकार को अनिश्चितकाल के लिए बढ़ा दिया।
  • अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी की प्रथम समुद्री यात्रा 1601 में जावा, सुमात्रा तथा मोलक्को के लिए हुई।
  • 1604 ई० में कंपनी भारत की ओर बढ़ी। 1608 ई० में इंग्लैंड के राजा जेम्स प्रथम के दूत के रूप में कैप्टन हॉकिन्स सूरत पहुंचा, जहाँ से वह मुगल सम्राट जहांगीर से मिलने हेतु आगरा गया।
  • कैप्टन हॉकिन्स फारसी भाषा का बहुत अच्छा ज्ञाता था, जहांगीर उससे बहुत अधिक प्रभावित था।
  • सम्राट जहांगीर हॉकिन्स के व्यवहार से प्रसन्न होकर उसे आगरा में बसने तथा 400 की मनसब एवं जागीर प्रदान किया।
  • शीघ्र ही पुर्तगालियों द्वारा सम्राट जहांगीर का कान भरे जाने के कारण सम्राट ने अंग्रेजों को सूरत से निकल जाने का आदेश दिया।
  • सूरत में कैप्टन हॉकिन्स ने कैप्टन मिडल्टन से मिलकर सूरत के व्यापारियों से प्रतिशोध लेने की प्रतिज्ञा की, लेकिन सूरत के व्यापारियों ने कैप्टन बेस्ट के अधीन दो अंग्रेजी जहाजों को सूरत में रहने की अनुमति प्रदान कर दी।
  • 1612 ई० में कैप्टन बेस्ट ने एक समुद्री युद्ध में पुर्तगालियों को पराजित कर दिया। 
  • 6 फरवरी, 1613 ई० को जहांगीर की ओर से जारी एक शाही फरमान द्वारा अंग्रेजों को सूरत में व्यापारिक कोठी स्थापित करने तथा मुगल राजदरबार में एक एलची रखने की अनुमति प्राप्त हो गई।
  • टॉमस एल्डवर्थ के अधीन सूरत में व्यपारिक कोठी की स्थापना हुई।
  • 18 सितम्बर, 1615 को सर टॉमस रो ब्रिटेन के राजा जेम्स प्रथम के दूत के रूप में सूरत पहुंचा।
  • 10 जनवरी, 1616 को टॉमस रो अजमेर में जहांगीर के दरबार में उपस्थित हुआ। 
  • टामस रो मुगल दरबार में 10 जनवरी 1616 से 17 फरवरी 1618 तक रहा।
  • इस बीच टॉमस रो ने मुगल दरबार से साम्राज्य के विभिन्न हिस्सों में व्यापार करने तथा दुर्गीकरण की अनुमति प्राप्त कर ली।
  • 1619 ई० तक अहमदाबाद, भड़ौच, बड़ौदा व आगरा में कंपनी के व्यापारिक कारखाने स्थापित हो गये। 
  • सभी व्यापारिक कोठियों का इस समय नियंत्रण सूरत से होता था।
  • 1611 ई० में दक्षिण में ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपना पहला कारखाना मसुलीपट्टम और पेटापुली में स्थापित किया। यहां से स्थानीय बुनकरों द्वारा निर्मित वस्त्रों को कंपनी खरीद कर फारस और बंतम को निर्यात करती थी। 
  • 1632 में अंग्रेजों ने गोलकुण्डा के सुल्तान से एक सुनहरा फरमान प्राप्त कर 15 सौ पैगोडा वार्षिक कर अदा करने के बदले गोलकुण्डा राज्य में स्थित बंदरगाहों से व्यापार करने का एकाधिकार प्राप्त कर लिया।
  • 1633 में पूर्वी तट पर अंग्रेजों ने अपना पहला कारखाना बालासोर और हरिहरपुरा में स्थापित किया।
  • 1639 में फ्रांसिस डे नामक अंग्रेज को चंदगिरी के राजा से मद्रास पट्टे पर प्राप्त हो गया। यहीं पर अंग्रेजों ने 'फोर्ट सेंट जार्ज' नामक किले की स्थापना की। 
  • 1641 में कोरोमण्डल तट पर फोर्ट सेंट जार्ज कम्पनी का मुख्यालय बन गया। 
  • 1661 ई० में पुर्तगालियों ने अपनी राजकुमारी कैथरीन ग्रेगांजा का विवाह ब्रिटेन के चार्ल्स द्वितीय से करके बम्बई को दहेज के रूप में दिया।
  • राजकुमार चार्ल्स ने 1668 में बम्बई को दस पौंड के वार्षिक किराये पर ईस्ट इंडिया कंपनी को दे दिया।
  • 1669 से 1677 ई० तक बम्बई का गवर्नर गेराल्ड अँगियार ही वास्तव में बम्बई का महानतम् संस्थापक था। 
  • 1687 तक बम्बई पश्चिमी तट का प्रमुख व्यापारिक केन्द्र बना रहा।
  • गेराल्ड अँगियार ने बम्बई में किलेबंदी के साथ ही वहां गोदी का निर्माण कराया तथा बम्बई नगर की स्थापना, एक न्यायालय और पुलिस दल को स्थापना की।
  • आँगियार ने बम्बई के गवर्नर के रूप में यहां पर तांबे और चांदी के सिक्के ढालने के लिए टकसाल की स्थापना की। 
  • आँगियार के समय में बम्बई की जनसंख्या 60,000 और राजस्व में तीन गुना वृद्धि हुई। इसका उत्तराधिकारी रौल्ट (1677-82) हुआ। 
  • शाहजहां ने पुर्तगालियों से नाराज होकर अंग्रेजों को बंगाल में सीमित क्षेत्र में बाजार की अनुमति प्रदान की लेकिन एक अंग्रेज डाक्टर गैब्रियल बफ्टन द्वारा शाहजहां की लड़की का सफलता पूर्वक इलाज करने के कारण अंग्रेजों को एक-दो जहाजों के साथ बिना चुंगी दिये व्यापार की अनुमति मिली।
  • 1651 में ब्रिजमैन के नेतृत्व में बंगाल के हुगली नामक स्थान पर प्रथम अंग्रेज कारखाने की स्थापना हुई हुगली के बाद कासिम बाजार, पटना, राजमहल में भी अंग्रेज कारखाने खोले गये।
  • 1651 ई० में बंगाल के सुबेदार शाहशुजा द्वारा दिये गये एक विशेष फरमान द्वारा अंग्रेजों को 3000 रु० वार्षिक कर देने पर बंगाल में व्यापार का विशेषाधिकार प्राप्त हुआ। 
  • 1658 ई० तक बंगाल, बिहार, उड़ीसा और कोरोमण्डल की समस्त अंग्रेज फैक्ट्रियां फोर्ट सेंट जार्ज (मद्रास) के अधीन आ गई। 
  • जहाँ 1633 से 1663 के बीच अंग्रेज फैक्ट्रियों का उद्देश्य मुगल संरक्षण में शांतिपूर्वक व्यापार करना था, वहीं 1683-85 में अंग्रेज व्यापारी, स्थानीय शक्तियों के साथ विवादों अन्य यूरोपियन कम्पनियों के अधिकृत और अनधिकृत व्यापारियों तथा आपसी झगड़ों में व्यस्त हो गये। 
  • 17वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में अनेक कारणों से ईस्ट इंडिया कंपनी की नीति में परिवर्तन आया, अब वह सिर्फ व्यापारिक संस्था भर न रहकर भारतीय राजनीति में दिलचस्पी लेने लगी।
  • 1667 में औरंगजेब ने अंग्रेजों को बंगाल में व्यापार करने की सुविधा हेतु एक फरमान जारी किया।
  • 1672 में बंगाल के मुगल सुबेदार शाइस्ता खां ने एक आदेश द्वारा अंग्रेजों को मिलने वाली व्यापारिक सुविधा को बहाल कर दिया। 
  • अगस्त 1682 में बंगाल के मुगल सुबेदार के यहां विलियम हैजेज के नेतृत्व में दूत मण्डल पहुँचा, जो मुगल अधिकारियों द्वारा जबरदस्ती वसूल की जाने वाली व्यापारिक चुंगी से मुक्ति चाहता था।
  • विलियम हैजेज बंगाल का प्रथम अंग्रेज गवर्नर बना।
  • 1686 में मुगल सम्राट औरंगजेब और अंग्रेजों के बीच पहली भिड़न्त हुगली में हुई। 
  • अंग्रेजों ने हुगली का बदला बालासोर के मुगल किले पर धावा बोल कर लिया, मुगलों ने हुगली से अंग्रेजों को पलायन करने के लिए विवश किया, अंग्रेजों को एक ज्वारग्रस्त द्वीप पर शरण लेनी पड़ी।
  • फरवरी, 1690 में जॉब चॉरनाक के नेतृत्व में कम्पनी के अधिकारियों और मुगल सरकार के बीच समझौता हो जाने पर जॉब चॉरनाक को बंगाल में कम्पनी के एजेन्ट के रूप में नियुक्त किया गया। 
  • 10 फरवरी, 1691 को जॉब चाँरनाक में सुतनाटी में अंग्रेज फैक्ट्री की स्थापना की। 
  • बर्दवान जिले के जमींदार शोभासिंह के विद्रोह से अंग्रेजों को सुतनाटी कारखाने की किलेबंदी करने की आवश्यकता महसूस हुई।
  • 1698-99 में बंगाल के सुबेदार अजीमुश्शान की अनुमति के बाद कंपनी को 1200 रु० देने पर सुतनाटी, गोविन्दपुर और कालिकाता की जमींदारी प्राप्त हो गई।
  • जमींदार इब्राहिम खां ने कंपनी को कालिकाता, गोविन्दपुर और सुतनाटी गांव की जमींदारी प्रदान की। 
  • जॉब चॉरनाक ने कालिकाता, गोविन्दपुर और सुतनाटी को मिलाकर ही आधुनिक कलकत्ता की नींव  डाली। कालांतर में कलकत्ता में फोर्ट विलियम की नींव पड़ी।
  • 1700 ई० में सर चार्ल्स आयर को स्थापित फोर्ट विलियम का प्रथम गवर्नर  बनाया गया तथा इसी समय बंगाल को मद्रास से स्वतंत्र प्रेसीडेंसी बना दिया गया। 
  • औरंगजेब ने 1707 में भारत में रहने वाले सभी यूरोपियनों को गिरफ्तार करने का आदेश दिया। पटना और कासिम बाजार के अंग्रेज कम्पनी कर्मचारी बंदी बना लिये गये।
  • 1707 में औरंगजेब की मृत्यु के बाद कंपनी की स्थिति में कुछ सुधार हुआ।
  • बंगाल के अंग्रेजों के बारे में शाइस्ता खां ने कहा कि "यह एक कुत्सित या नीच, झगड़ालू लोगों और बेईमान व्यापारियों की कंपनी है।" 
  • 1634 ई० में ब्रिटिश संसद द्वारा पारित एक प्रस्ताव द्वारा ब्रिटेन की सभी प्रजा को भारत में व्यापार करने का अधिकार मिल गया।
  • इस अधिकार पत्र के बाद इंग्लैण्ड में एक अन्य प्रतिद्वन्दी कंपनी इंग्लिश कम्पनी ट्रेडिंग इन द ईस्ट का जन्म हुआ। 
  • इस कम्पनी ने व्यापारिक विशेषाधिकार प्राप्त करने के लिए विलियम नौरिस को औरंगजेब के दरबार में भेजा था। 
  • नई और पुरानी ईस्ट इंडिया कंपनी को आपास में विलय करने का निर्णय 22 जुलाई, 1702 को लिया गया। दोनों कंपनियों का विलय अर्ल आफ गोडोलफिन के निर्णय के अनुसार 1708-09 में कर दिया गया।
  • संयुक्त कंपनी का नाम 'द यूनाइटेड कंपनी ऑफ मर्चेन्ट्स ऑफ इंग्लैण्ड ट्रेडिंग टू दी ईस्ट इंडीज' रखा गया।
  • "ईस्ट इंडिया कंपनी के इतिहास की महत्वपूर्ण घटना 1717 ई० में घटी। जॉन सुर्मन के नेतृत्व में एक ब्रिटिश दूत मंडल कुछ और व्यापारिक रियायतें प्राप्त करने के उद्देश्य से मुगल बादशाह फर्रुखसियर के दरबार में पहुंचा। ब्रिटिश दूतमण्डल में एडवर्ड स्टिफेन्सन, विलियम हैमिल्टन (सर्जन) तथा ख्वाजा सेहू (आर्मेनियन दुभाषिया) शामिल थे।
  • सर्जन हेमिल्टन ने बादशाह को एक भयानक बीमारी से मुक्ति दिलायी, परिणामस्वरूप खुश होकर फर्रुखसियर ने बंगाल, हैदराबाद और गुजरात के सुबेदारों के नाम तीन फरमान जारी किये। 
  • फर्रुखसियर द्वारा कंपनी को प्रदत्त फरमान कालांतर में दूरगामी परिणामवाला सिद्ध हुआ। 
  • और्म महोदय ने इस फरमान को 'कम्पनी का महाधिकारपत्र' (मैग्नाकार्टा), की संज्ञा दी।
  • बंगाल में 3000 रु० वार्षिक कर अदा करने पर कंपनी को उसके समस्त व्यापार में सीमा शुल्क से मुक्त कर दिया गया। 
  • इस फरमान द्वारा कंपनी को कलकत्ता के आस-पास के 38 गांवों को खरीदने का अधिकार मिल गया।
  • फर्रुखसियर द्वारा दिये गये फरमान द्वारा बम्बई में ढले सिक्कों को समूचे मुगल साम्राज्य में चलाने के लिए छूट मिल गई।
  • सूरत में फरमान द्वारा 10,000 रु० वार्षिक देने पर कंपनी के समस्त व्यापार को आयात-निर्यात कर से मुक्त कर दिया गया।
  • बंगाल के नवाब मुर्शीद कुली खाँ ने फर्रुखसियर द्वारा दिये गये फरमान के बंगाल में स्वतंत्र प्रयोग को नियंतित्र करने का प्रयास किया। 
  • मराठा सेनानायक कान्होंजी आंगरिया ने पश्चिमी तट पर अंग्रेजों की स्थिति को काफी कमजोर बना दिया था।

डेन (1616 ई०)

Pariksha Pointer

Author & Editor

Please tell us by comments on related topics and the information given in it.

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें