मंगलवार, 21 जनवरी 2025

प्रथम कर्नाटक युद्ध (1746-48 ई०)

 


  • प्रथम कर्नाटक युद्ध का तात्कालिक कारण था अंग्रेज कैप्टन बर्नेट के नेतृत्व में अंग्रेजी सेना द्वारा कुछ फ्रांसीसी जहाजों पर अधिकार कर लेना।
  • इसकी प्रतिक्रिया के रूप में फ्रांसीसी गवर्नर (मारीशस) ला बूर्दने के सहयोग से डूप्ले ने मद्रास के गवर्नर मोर्स को आत्म समर्पण के लिए मजबूर कर दिया, इस समय अंग्रेज, फ्रांसीसियों के सामने बिल्कुल असहाय थे।
  • प्रथम कर्नाटक युद्ध के समय ही कर्नाटक के नवाब अनवरुद्दीन ने महफूज खां के नेतृत्व में दस हजार सिपाहियों की एक सेना को फ्रांसीसियों पर आक्रमण के लिए भेजा, कैप्टन पैराडाइज के नेतृत्व में फ्रांसीसी सेना ने सेंटथोमे के युद्ध में नवाब को पराजित किया।
  • जून 1748 में अंग्रेज रियर एडमिरल बोस्काबेन के नेतृत्व में एक जहाजी बेड़ा ने पांडिचेरी को घेर लिया, परन्तु सफलता नहीं मिली। 
  • 1748 में यूरोप में अंग्रेजों और फ्रांसीसियों के बीच आस्ट्रिया में लड़े जा रहे उत्तराधिकार युद्ध की समाप्ति हेतु ऑक्सा-ला-शैपेल नामक संधि के सम्पन्न होने पर भारत में भी इन दोनों कंपनियों के बीच संघर्ष समाप्त हो गया। अतः मद्रास पुनः अंग्रेजों को मिल गया।

द्वितीय कर्नाटक युद्ध (1749-54 ई०)


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