- द्वितीय कर्नाटक युद्ध के समय कर्नाटक के नवाब के पद को लेकर अंग्रेज और फ्रांसीसियों के मध्य संघर्ष हुआ।
- चांदा साहब ने नवाबी के लिए डूप्ले का सहयोग प्राप्त किया, दूसरी ओर डूप्ले ने मुजफ्फरजंग के लिए दक्कन की सूबेदारी का समर्थन किया।
- अंग्रेजों ने अनवरुद्दीन और नासिरजंग को अपना समर्थन प्रदान किया।
- 1749 ई० में चांदासाहब ने अंबुर में अनवरुद्दीन को पराजित कर मार डाला तथा कर्नाटक के अधिकांश हिस्सों पर अधिकार कर लिया लेकिन मुजफ्फर जंग दक्कन की सूबेदारी हेतु अपने भाई नासिर जंग से पराजित हुआ। लेकिन 1750 ई० में नासिर की मृत्यु के बाद मुजफ्फर दक्कन का सूबेदार बन गया।
- इस समय दक्षिण भारत में फ्रांसीसियों का प्रभाव चरम पर था इसी बीच राबर्ट क्लाइव जो इंग्लैण्ड से मद्रास एक किरानी के रूप में आया था, वह 1751 में 500 सिपाहियों के साथ धारवार पर धावा बोलकर कब्जा कर लेता है। शीघ्र ही फ्रांसीसी सेना को आत्मसमर्पण हेतु विवश होना पड़ा और चांदा साहब की हत्या कर दी गई।
- फ्रांस स्थित अधिकारियों ने भारत में डूप्ले की नीति की आलोचना करते हुए उसे वापस इंग्लैंड बुला लिया तथा उसके स्थान पर गोदहे को 1 अगस्त 1754 को गवर्नर बना दिया गया।
- डूप्ले के बारे में जे० आर० मैरियत ने कहा कि "डूप्ले ने भारत की पूंजी मद्रास में तलाश कर भयानक भूल की, क्लाइव ने इसे बंगाल में खोज लिया।"
तृतीय कर्नाटक युद्ध (1757-63 ई०)
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