शुक्रवार, 17 जनवरी 2025

रणजीत सिंह और पंजाब (1792-1839)

 


  • 1798 में अब्दाली के पुत्र और काबुल के शासक जमनशाह ने रणजीत सिंह को उसकी महत्वपूर्ण सैन्य सेवाओं के लिए राजा की उपाधि प्रदान की और लाहौर की सूबेदारी सौंपी।
  • 1799 से 1805 के बीच रणजीत सिंह ने भंगी मिसल के अधिकार से लाहौर और अमृतसर को छीन कर लाहौर को अपनी राजधानी बनाया।
  • 1808 ई० में रणजीत सिंह ने सतलज नदी को पार कर फरीदकोट, मुलेर, कोटला और अम्बाला पर कब्जा कर लिया।
  • 1809 ई० में अंग्रेजों तथा विरोधी सिक्ख राज्यों के भय के कारण रणजीत सिंह ने लार्ड मिंटो के दूत चार्ल्स मेटकाफ से ‘अमृतसर की संधि' कर ली।
  • अमृतसर की संधि के द्वारा रणजीत सिंह के सतलज नदी के पूर्वी तट पर विस्तार को सीमित कर दिया गया तथा उत्तर में राज्य विस्तार की छूट दी गई, संधि के बाद रणजीत ने अपने राज्य विस्तार की पूर्वी सीमा को सतलज तक स्वीकार कर लिया।
  • 1809 में अब्दाली के पौत्र शाहशुजा को उसके भाई ने अपदस्थ कर दिया था, शाहशुजा लाहौर में निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहा था रणजीत सिंह ने उसे पुनः सत्तासीन करने में सहायता दी।
  • रणजीत सिंह ने उत्तर-पश्चिम में अपने राज्य का विस्तार करते हुए 1818 में मुल्तान, 1819 ई० में कश्मीर तथा 1823 में पेशावर पर अधिकार कर लिया। 
  • रणजीतसिंह को अफगान शासक शाहशुजा से ही वह प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा प्राप्त हुआ जिसे नादिरशाह लाल किले से लूटकर ले गया था।
  • सिक्ख सेनापति हरिसिंह नलवा ने जमरूद तथा पेशावर को अफगानों के कब्जे से छीन लिया था।
  • अफगानिस्तान में रूस के हस्तक्षेप से चिंतित ईस्ट इंडिया कंपनी ने दोस मुहम्मद को हटा कर शाहशुजा को काबुल का शासक बनाया।
  • 1838 में शाहशुजा, रणजीत सिंह और अंग्रेजों के मध्य एक 'त्रिपक्षीय संधि'  की गई जिसके द्वारा ब्रिटिश सेना को पंजाब से गुजरने का अवसर प्राप्त हो गया।
  • 27 जून, 1839 को रणजीत सिंह की मृत्यु हो गई।

महाराजा रणजीत सिंह का प्रशासन 

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