- चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध (1799) से पूर्व मैसूर आर्थिक तथा सामरिक रूप से इतना कमजोर हो गया कि टीपू सुल्तान के लिए इसे अधिक दिनों तक स्वतंत्र रख पाना मुश्किल हो गया था।
- चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध के समय टीपू सुल्तान ने अंग्रेजों से मुकाबले के लिए अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग लेने की दिशा में प्रयास किया, इसने नेपोलियन से भी पत्र व्यवहार किया।
- चतुर्थ युद्ध के समय अंग्रेजों ने निजाम और मराठों से युद्ध में प्राप्त लाभ को तीन बराबर भागों में बांटने की शर्त पर समझौता कर लिया।
- चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध के समय अंग्रेजी सेना को वेलेजली, हैरिस और स्टुअर्ट ने अपना नेतृत्व प्रदान किया।
- 4 मई, 1799 ई० को टीपू सुल्तान संयुक्त अंग्रेजी सेना से बहादुरी के साथ लड़ता हुआ मारा गया। इस तरह मैसूर की स्वतंत्रता का इतिहास उसके द्वारा अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष के गौरवशाली अध्याय का समापन हो गया।
- अंग्रेजों ने मैसूर की गद्दी पर फिर से आड्यार वंश के एक बालक कृष्णराय को बिठा दिया तथा कनारा, कोयम्बटूर और श्रीरंगपट्टनम को अपने राज्य में मिला लिया।
- मैसूर को जीतने की खुशी में आयरलैण्ड के लार्ड समाज में वेलेजली को ‘मार्कविस' की उपाधि से सम्मानित किया गया।
पंजाब
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