- मुगल साम्राज्य के पतन के बाद कई नए राज्यों ने स्वयं को स्वतंत्र घोषित कर दिया, नए उभरने वाले स्वायत्त राज्य थे- अवध, मैसूर, पंजाब, हैदराबाद, रूहेलखण्ड, राजपूत, मराठे, कर्नाटक आदि।
- अवध की स्वतंत्रता की घोषणा 1722 ई० में सआदत खां बुरहान मुल्क ने की।
- ईरानी शिया गुट के सआदत खां को मुगल सम्राट मुहम्मदशाह ने अवध का सूबेदार नियुक्त किया था।
- पश्चिम के कन्नौज से लेकर पूर्व में कर्मनासा नदी तक फैला अवध का सूबा एक विस्तृत और समृद्धिशाली क्षेत्र था।
- सआदत खां ने नादिरशाह के आक्रमण के समय शाही मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया था। अपने नाम और सम्मान की रक्षा के लिए ही सआदत खां ने 1739 में आत्महत्या कर ली।
- सआदत के बाद उसका भतीजा और दामाद सफदरजंग (अबुल मंसूर खा) अवध का अगला नवाब बना।
- 1742 में सफदरजंग ने कुछ समय के लिए पटना पर अधिकार कर लिया था।
- 1744 में मुहम्मदशाह ने सफदरजंग को अपना वजीर नियुक्त किया।
- 1748 में अहमदशाह अब्दाली और मुगलों के बीच लड़े गये मणिपुर के युद्ध में सफदरजंग ने मुगलों का साथ दिया तथा सम्राट अहमदशाह से वजीर का पद प्राप्त किया।
- सफदरजंग ने फर्रुखाबाद के बंगश नवाबों और जाटों के विरुद्ध सैन्य अभियान किये। अन्तत: जयप्पा सिंधिया और मल्हारराव के साथ सफदरजंग ने एक मैत्री संधि की।
- 1753 में बादशाह अहमदशाह ने सफदरजंग को वजीर के पद से बर्खास्त कर दिया, 1754 में अवध में सफदरजंग की मृत्यु हो गई।
- सफदरजंग के बाद उसका उत्तराधिकारी उसका पुत्र शुजाउद्दौला बना। इसने 1759 ई० में अलीगौहर (मुगल बादशाह शाहआलम द्वितीय) को लखनऊ में शरण दी।
- 1761 ई० में लड़े गये पानीपत के तृतीय युद्ध में शुजाउद्दौला ने अहमद शाह अब्दाली का साथ दिया।
- अंग्रेजों और बंगाल के अपदस्थ नवाब मीरकासिम के बीच लड़े गये 'बक्सर के युद्ध' (1764 ई०) में शुजाउद्दौला ने बंगाल के नवाब मीरकासिम का साथ दिया।
- अवध का अगला नवाब सादतखां (1738-1814 ई०) हुआ, जिसने अंग्रेजों से सहायक संधि कर ली।
- अंग्रेजों ने अवध को तब तक एक मध्यवर्ती "राज्य (Buffer State) के रूप में प्रयोग किया, जब तक कि उनका मराठों पर पूर्ण नियंत्रण नहीं हो गया।
- अवध का अंतिम नवाब वाजिद अलीशाह (1847-1856 ) था। इसी के शासनकाल में अवध पर कुशासन का आरोप लगाकर 1856 ई० में ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया गया।
हैदराबाद (1724 ई०)
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें