मंगलवार, 14 जनवरी 2025

जहांदारशाह (1712-1713)


  • बहादुरशाह प्रथम की मृत्यु के बाद उत्तराधिकार के युद्ध में बहादुरशाह के एक योग्य बेटे जहांदारशाह ने अपने भाई अजीम-उश-शान, रफी उश्शान तथा जहान शाह की हत्या करके मुगल सिंहासन को प्राप्त कर लिया। 
  • जहांदारशाह को सिंहासन प्राप्त कराने में तत्कालीन शक्तिशाली अमीर जुल्फिकार खां ने सहायता प्रदान की जिसे कालांतर में जहांदारशाह ने वजीर के सर्वोच्च पद पर नियुक्त किया।
  • वजीर जुल्फिकार खां ने अपने एक चाटुकार सुभगचंद्र को समस्त प्रशासकीय दायित्व सौंप रखा था।
  • साम्राज्य की वित्तीय स्थिति को सुधारने के उद्देश्य से जुल्फिकार खां ने जागीरों एवं ओहदों की अंधाधुंध बंटवारे पर रोक लगा दी।
  • जुल्फिकार खां द्वारा ‘इजारा' अथवा भू-राजस्व की वसूली को ठेके पर दिये जाने की प्रथा को बढ़ावा देने के कारण उत्तरोत्तर मुगल काल में कृषक वर्ग पर अत्याचारों में वृद्धि हुई।
  • जहांदारशाह के शासन काल के बारे में खफी खां ने लिखा कि "नया शासन काल चारणों और गायकों, नर्तकों एवं नाट्य कर्मियों के समस्त वर्गों के लिए बहुत अनुकूल युग था।"
  • अत्यधिक भ्रष्ट एवं अनैतिक आचरण वाले जहांदारशाह पर उसकी प्रेमिका लालकुंवर का काफी प्रभाव था। 
  • जहांदारशाह ने आमेर के राजा सवाई जयसिंह को 'मिर्जा' की उपाधि के साथ मालवा का सूबेदार बनाया। 
  • जहांदारशाह ने मारवाड़ के राजा अजीत सिंह को 'महाराजा' की उपाधि के साथ गुजरात का सूबेदार बनाया। 
  • जहांदारशाह के समय में मराठों को दक्कन में 'चौथ' और 'सरदेशमुखी' वसूल करने का अधिकार इस शर्त पर मिला कि इसकी वसूली मुगल अधिकारी करेंगे। 
  • अजीमुश्शान के पुत्र फर्रुखसियर ने हिन्दुस्तानी अमीर सैय्यद बंधुओं के सहयोग से जहांदारशाह को सिंहासन से अपदस्थ करवा कर हत्या करवा दी।
  • 11 फरवरी, 1713 को जहांदार की हत्या कर दी गई इसे लोग 'लम्पट मूर्ख' कहते थे।


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